अलग-अलग लोगों की विकास के लिए धारणा अलग अलग क्यों है
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अलग-अलग लोगों के लिए विकास की धारणाएं अलग-अलग इसलिए होती है. क्योंकि लोगों की परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं, उनकी जरूरते अलग-अलग होती हैं।
किसी क्षेत्र में जल की आपूर्ति बराबर नही है, तो वहाँ जलापूर्ति के लिये नल आदि लगवाना विकास वहाँ के लोगों के लिये विकास है। लेकिन पास के दूसरे क्षेत्र में यदि जलापूर्ति ठीक है, वहाँ पर ये विकास का प्रतीक नही है। उस क्षेत्र की दूसरी किसी समस्य का निराकरण वहाँ पर विकास का प्रतीक हो सकती है।
समाज के हर वर्ग में सभी लोगों की परिस्थितियां एक जैसी नहीं हो सकती। सही अर्थों कहा जाये तो अपनी जरूरतों का निराकरण पाकर और बेहतर स्थिति पाना ही विकास है। ऐसी स्थिति में लोगों के लिए विकास की धारणाएं भी अलग अलग हो जाती हैं। कोई बात किसी के लिए विकास है तो दूसरे के लिए वही विनाश भी हो सकती है। यदि किसी कार्य से किसी को कोई फायदा होता है तो हो सकता है दूसरे को उसी कार्य से नुकसान हो तो वही कार्य एक के लिए विकास है और दूसरे के लिए विनाश।
उदाहरण के लिए सरकार देश के विकास के लिए नदियों पर बाँध बनाती हैं, या सड़क बनाती है। संपूर्ण देश के संदर्भ में देखा जाए तो यह विकास का प्रतीक है लेकिन बाँध बनाने के लिए जिस नदी का प्रयोग या सड़क बनाने के लिये जिस जमीन का अधिग्रहण किया जाता है, उस नदी के आसपास के गाँव आदि के लोगों को विस्थापित होना पड़ता है। बहुत से लोगों को उचित मुआवजा भी नहीं मिल पाता, इस कारण उन्हें अपनी जन्मभूमि छोड़कर इधर-उधर भटकना पड़ता है तो सरकार द्वारा की गई विकास की यही प्रक्रिया गांव वालों के लिए विकास नहीं विनाश का प्रतीक बन कर रह जाती है।
इसलिये स्पष्ट है कि परिस्थियों के अनुसार लोगों के लिय विकास की अवधारणा अलग-अलग होती है।
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Answer:
अलग-अलग लोगों के लिए विकास की धारणाएं अलग-अलग इसलिए होती है. क्योंकि लोगों की परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं, उनकी जरूरते अलग-अलग होती हैं। किसी क्षेत्र में जल की आपूर्ति बराबर नही है, तो वहाँ जलापूर्ति के लिये नल आदि लगवाना विकास वहाँ के लोगों के लिये विकास है।