alsi gadha story writing in Hindi
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एक दिन व्यापारी को पता चला कि बाजार में नमक की बहुत मांग है। उस दिन उसने सोचा कि अब वो बाजार में नमक बेचा करेंगे। जैसे ही हाट लगने का दिन आया, व्यापारी ने नमक की चार बोरियां गधे की पीठ पर लादी और उसे बाजार चलने के लिए तैयार किया। व्यापारी, गधे के आलसीपन के बारे में जानता था, इसलिए गधे के न चलने पर उसने गधे को एक-दो बार धक्का दिया और गधा चल पड़ा। नमक की बोरियां थोड़ी भारी थीं, जिस वजह से गधे के पैर कांप रहे थे और उसे चलने में मुश्किल हो रही थी। किसी तरह, गधे को धक्का देते हुए व्यापारी उसे आधे रास्ते तक ले आया।
व्यापारी के घर और बाजार के बीच एक नदी पड़ती थी, जिसे पुल की मदद से पार करना पड़ता था। गधा जैसे ही नदी पार करने के लिए पुल पर चढ़ा और कुछ दूर चला, उसका पैर फिसल गया और वह नदी में गिर गया।
गधे को नदी में गिरा देख, व्यापारी घबरा गया और हड़बड़ाते हुए तैरकर उसे नदी से निकालने जा पहुंचा।
व्यापारी ने किसी तरह अपने गधे को नदी से बाहर निकाल लिया। जब गधा नदी से बाहर आया, तो उसने देखा कि उसकी पीठ पर लदी बोरियां हल्की हो गई हैं। सारा नमक पानी में घुल गया था और व्यापारी को आधे रास्ते से ही वापस घर लौटना पड़ा। इस वजह से व्यापारी का बहुत नुकसान हो गया, लेकिन इस घटना से आलसी गधे को बाजार तक न जाने की एक तरकीब सूझ गई थी।
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