अमर जवान ज्योति के महत्व का वर्णन कीजिए
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1971 में बना था अमर जवान ज्योति
इंदिरा गांधी ने देश के 23वें रिपब्लिक डे के मौके पर यहां पहुंचकर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी थी। इसके बाद से ही स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर यहां शहीदों को श्रद्धांजलि देना प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के लिए यह एक परंपरा बन गई।
अमर जवान ज्योति के महत्व का वर्णन:
अमर जवान ज्योति देश के उन महान शहीदों के बलिदान की गाथा का ऐसा ही स्मारक है, जो हमें गर्व की अनुभूति करा देता है। अमर ज्योति स्मारक के निर्माण के महत्व से संबंधित अनेक तथ्य हैं। अमर जवान ज्योति स्मारक का निर्माण 1971 के भारत और पाकिस्तान के युद्ध के बाद हुआ था, जब बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग होकर एक नया देश बना था और भारत ने पाकिस्तान के साथ युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह हराया था और उसके हजार लोग सैनिकों को बंदी बना लिया था।
अमर जवान ज्योति का निर्माण इस युद्ध में मारे गए अमर वीर शहीदों की याद में किया गया था इस स्मारक के लिए इंडिया गेट के पास की जगह को चुना गया। दिल्ली के इंडिया गेट पर राजपथ पर अंग्रेजों ने पहले विश्व युद्ध के बाद एक ब्रिटिश भारतीय सैनिकों की स्मृति में एक स्मारक बनाया था। इसी स्मारक की इमारत के नीचे अमर जवान ज्योति स्मारक बनाने का फैसला किया गया।
अमर जवान ज्योति में चारों तरफ चार मशाले लगी हुई हैं और इन मशालों में लगातार अग्नि प्रज्वलित रहती है। स्मारक का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 में किया था।
अमर जवान ज्योति हमारे लिये इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमारे मन में एक गर्व की अनुभूति वाली दार्शनिक सोच भर देता है कि देश की सेवा में लगे सैनिकों ने अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया और उनके प्राणों के बलिदान के कारण ही हम अपने देश में सुरक्षित हैं।