ammeter and valtmeter के परिपथ में किस प्रकार जोड़ा जाता है
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- यह परिपथ में धारा नापने के लिए प्रयोग में लाया जाता है । यह परिपथ में किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर नापने के लिए प्रयोग में लाया जाता है । इसे धारामापी की कुण्डली के समान्तर क्रम में कम प्रतिरोध का तार जोड़कर बनाया जाता है । ... इसे विद्युत परिपथ में सदैव समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है ।
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अमीटर और वोल्टमीटर में अन्तर
इसे धारामापी की कुण्डली के श्रेणी क्रम में उच्च प्रतिरोध का तार जोड़ कर बनाया जाता है । इसे विद्युत परिपथ में सदैव श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है । इसे विद्युत परिपथ में सदैव समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है । इसका स्केल ऐम्पियर में अंकित रहता है ।
वोल्टमीटर (अंग्रेज़ी:Voltmeter) एक मापन यंत्र है जो किसी परिपथ के किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर को मापने के लिये प्रयोग किया जाता है। १८१९ में हैंस ऑरेस्टड ने वोल्टमीटर का आविष्कार किया।[1] उन्होंने चुम्बकीय दिशासूचक की सुई के पास रखे तार में विद्युत धारा का प्रवाह किया तो उन्होंने देखा कि इसकी दिशा में परिवर्तन हो रहा है। ध्यान देने पर ज्ञात हुआ कि तार में जितनी अधिक एंपियर की धारा प्रवाहित की जाती है, सुई की दिशा में उतनी ही तीव्रता से परिवर्तन होता है। इसी कारण से उनका मापन एकदम सही नहीं आ रहा था। १९वीं शताब्दी में आर्सीन डी आर्सोनवल ने ऐसा यंत्र बनाया जो पहले बने यंत्रों की तुलना में बेहतर मापन कर सके। इसके लिए उन्होंने कंपास की सुई को छोटा किया और उसे चारों तरफ से चुंबक से घेर दिया। यह डी आर्सोनवल मूवमेंट के नाम से जाना जाता है और इसका प्रयोग आज के एनालॉग मीटर में होता है। व्यावहारिक तौर पर वोल्टमीटर अमीटर की तरह ही काम करते हैं, जो वोल्टेज को मापने के साथ, विद्युत धारा और प्रतिरोध को भी मापते हैं।
ऐमीटर या 'एम्मापी' (ammeter या AmpereMeter) किसी परिपथ की किसी शाखा में बहने वाली विद्युत धारा को मापने वाला यन्त्र है। बहुत कम मात्रा वाली धाराओं को मापने के लिये प्रयुक्त युक्तियोंको "मिलिअमीटर" (milliameter) या "माइक्रोअमीटर" (microammeter) कहते हैं।
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