AN EASY ESSAY ON KHO KHO IN HINDI how much percent it is popular in india
Answers
Answered by
0
खो-खो एक भारतीय मैदानी खेल है। इस खेल में मैदान के दोनो ओर दो खम्भों के अतिरिक्त किसी अन्य साधन की जरूरत नहीं पड़ती। यह एक अनूठा स्वदेशी खेल है, जो युवाओं में ओज और स्वस्थ संघर्षशील जोश भरने वाला है। यह खेल पीछा करने वाले और प्रतिरक्षक, दोनों में अत्यधिक तंदुरुस्ती, कौशल, गति और ऊर्जा की माँग करता है। खो-खो किसी भी तरह की सतह पर खेला जा सकता है।
खो-खो का क्रीड़ा क्षेत्र आयताकार होता है। यह 27 X 16 मीटर होता है। मैदान के अंत में दो आयताकार होते हैं। आयताकार की भुजा 16 मीटर और दूसरी भुजा 1.50 मी॰ होती है। इन दोनों आयताकारों के मध्य में दो लकड़ी के स्तम्भ होते हैं। केन्द्रीय गली 24 मी॰ लम्बी और 30 सैंटीमीटर चौड़ी होती है।
खेल के नियमसंपादित करें
क्रीड़ा क्षेत्र को आकार में वर्णित अनुसार चिन्हित होना चाहिए।
दौड़ने या चेज़र बनने का निर्णय टॉस द्वारा किया जाएगा।
एक धावक (चेज़र) के अतिरिक्त अन्य सभी धावक वर्गों में इस प्रकार बैंठेगे कि दो साथ-साथ बैठे धावकों का मुँह एक ओर नहीं होगा। नौंवा धावक पीछा करने के लिए किसी एक स्तम्भ के पास खड़ा होगा।
सक्रिय धावक के शरीर का कोई भी भाग केन्द्रीय गली से स्पर्श नहीं करेगा। वह स्तम्भों में अन्दर से केन्द्रीय रेखा पार नहीं कर सकता।
'खो' बैठे हुए धावक के पीछे से समीप जा कर ऊँची और स्पष्ट आवाज़ में देनी चाहिए। बैठा हुआ धावक बिना 'खो' प्राप्त किए नहीं उठ सकता और न ही वह अपनी टाँग या भुजा फैला कर स्पर्श प्राप्त करने की कोशिश करेगा।
यदि कोई सक्रिय धावक उस वर्ग की केन्द्रीय गली से बाहर चला जाए जिस पर कोई धावक बैठा है या यदि वह निष्क्रिय धावक की पकड़ छोड़ देता है तो सक्रिय धावक उसे खो नहीं देगा। कोई सक्रिय धावक 'खो' देने के लिए वापिस नहीं आ सकता।
नियम 4, 5 तथा 6 का उल्लंघन फाऊल होता है। इस पर सक्रिय धावक उस दिशा के विपरीत जाने के लिए बाध्य किया जाएगा जिस दिशा में वह जा रहा रही थी। निर्णायक की सीटी के संकेत के साथ सक्रिय धावक सांकेतित दिशा की ओर चल देगा। यदि इस तरह रनर आऊट हो जाता है तो उसे आऊट नहीं माना जाता।
सक्रिय धावक 'खो' देने के पश्चात तुरंत 'खो' पाने वाले धावक का स्थान ग्रहण कर लेगा। खो देना और साथ बैठे धावक के लोना एक साथ होना चाहिए।
ठीक खो लेने के पश्चात यदि सक्रिय धावक का पहला क़दम सैंटर लेन को छूता हो तो वह फाऊल नहीं है। यदि केंद्रीय लेन को क्रॉस करे तो वह फाऊल है।
दिशा लेने के पश्चात सक्रिय धावक पुन: क्रॉस लाइन में आक्रमण कर सकता है और इस को फाऊल नहीं माना जाता।
सक्रिय धावक वह दिशा ग्रहण करेगा जिस ओर इसका मुँह मुड़ा हो अर्थात जिस ओर उसने अपने कन्धे की रेखा को मोड़ा था।
plz mark me as a brainlist : )
खो-खो का क्रीड़ा क्षेत्र आयताकार होता है। यह 27 X 16 मीटर होता है। मैदान के अंत में दो आयताकार होते हैं। आयताकार की भुजा 16 मीटर और दूसरी भुजा 1.50 मी॰ होती है। इन दोनों आयताकारों के मध्य में दो लकड़ी के स्तम्भ होते हैं। केन्द्रीय गली 24 मी॰ लम्बी और 30 सैंटीमीटर चौड़ी होती है।
खेल के नियमसंपादित करें
क्रीड़ा क्षेत्र को आकार में वर्णित अनुसार चिन्हित होना चाहिए।
दौड़ने या चेज़र बनने का निर्णय टॉस द्वारा किया जाएगा।
एक धावक (चेज़र) के अतिरिक्त अन्य सभी धावक वर्गों में इस प्रकार बैंठेगे कि दो साथ-साथ बैठे धावकों का मुँह एक ओर नहीं होगा। नौंवा धावक पीछा करने के लिए किसी एक स्तम्भ के पास खड़ा होगा।
सक्रिय धावक के शरीर का कोई भी भाग केन्द्रीय गली से स्पर्श नहीं करेगा। वह स्तम्भों में अन्दर से केन्द्रीय रेखा पार नहीं कर सकता।
'खो' बैठे हुए धावक के पीछे से समीप जा कर ऊँची और स्पष्ट आवाज़ में देनी चाहिए। बैठा हुआ धावक बिना 'खो' प्राप्त किए नहीं उठ सकता और न ही वह अपनी टाँग या भुजा फैला कर स्पर्श प्राप्त करने की कोशिश करेगा।
यदि कोई सक्रिय धावक उस वर्ग की केन्द्रीय गली से बाहर चला जाए जिस पर कोई धावक बैठा है या यदि वह निष्क्रिय धावक की पकड़ छोड़ देता है तो सक्रिय धावक उसे खो नहीं देगा। कोई सक्रिय धावक 'खो' देने के लिए वापिस नहीं आ सकता।
नियम 4, 5 तथा 6 का उल्लंघन फाऊल होता है। इस पर सक्रिय धावक उस दिशा के विपरीत जाने के लिए बाध्य किया जाएगा जिस दिशा में वह जा रहा रही थी। निर्णायक की सीटी के संकेत के साथ सक्रिय धावक सांकेतित दिशा की ओर चल देगा। यदि इस तरह रनर आऊट हो जाता है तो उसे आऊट नहीं माना जाता।
सक्रिय धावक 'खो' देने के पश्चात तुरंत 'खो' पाने वाले धावक का स्थान ग्रहण कर लेगा। खो देना और साथ बैठे धावक के लोना एक साथ होना चाहिए।
ठीक खो लेने के पश्चात यदि सक्रिय धावक का पहला क़दम सैंटर लेन को छूता हो तो वह फाऊल नहीं है। यदि केंद्रीय लेन को क्रॉस करे तो वह फाऊल है।
दिशा लेने के पश्चात सक्रिय धावक पुन: क्रॉस लाइन में आक्रमण कर सकता है और इस को फाऊल नहीं माना जाता।
सक्रिय धावक वह दिशा ग्रहण करेगा जिस ओर इसका मुँह मुड़ा हो अर्थात जिस ओर उसने अपने कन्धे की रेखा को मोड़ा था।
plz mark me as a brainlist : )
Similar questions
English,
7 months ago
Accountancy,
7 months ago
Computer Science,
7 months ago
Hindi,
1 year ago
Hindi,
1 year ago
India Languages,
1 year ago
Math,
1 year ago