An easy vibhatsa ras example in hindi
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जिसका स्थायी भाव जुगुप्सा होता है और जहां घृणत्व का बोध होता है। वहीं वीभत्स रस होता है।
हर दिन मानवता शर्म शार होती है
भरी बाजार में आबरूह लूटती है।
इंसानियत अपना दम तोड़ती है
एक निर्लज के कारण पूरा भारत बदनाम हुआ।
हर दिन मानवता शर्म शार होती है
भरी बाजार में आबरूह लूटती है।
इंसानियत अपना दम तोड़ती है
एक निर्लज के कारण पूरा भारत बदनाम हुआ।
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