an essay on a school trip in hindi
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एक सुहावने रविवार को मम्मी, पापा ने मुझे दोस्तों के साथ पिकनिक पर जाने की आज्ञा दी। वह मार्च का महिना था। ठंडी बयार चल रही थी। हवा में एक मीठी सी सुगंध तैर रही थी। बहुत ही सुहावना मौसम था। हमने पिकनिक मनाने के लिए बुद्ध जयंती पार्क नामक स्थान चुना। हम सभी दोस्त वहाँ बस से पहुंचे। हम अपने साथ खाना व नाश्ता लेकर गए थे।
हम सुबह 10 बजे पार्क में पहुँच गए। .सबसे पहले हमने चाय बनाई व चाय के साथ नाश्ता किया, उसके बाद खेल व संगीत का आनंद लिया। अनिल के पास अपना गिटार व सुरेश के पास उसका ड्रम था। मैं टेप रिकॉर्डर भी साथ ले गया था। हम संगीत की धुन को सुनकर ताली बजाकर गए रहे थे। नरेंद्र अपना रेडिओ लेकर आया था और गोविन्द ने बहुत ही सुरीला गाना गाया।
इसके बाद हम इस सुन्दर और विशाल पार्क में घूमने गए। वहां पर बहुत से लोगों के समूह पिकनिक के मजे ले रहे थे। चारों तरफ रंग-बिरंगे फूल लहरा रहे थे। हमने फोटो खींचे तथा दोपहर का भोजन किया। खाना बहुत ही स्वादिष्ट था। उसमें बहुत सी स्वादिष्ट चीजें थीं। उसके बाद हमने एक बहुत बड़े छायादार पेड़ की छाँव में थोड़ी देर आराम किया। तत्पश्चात वहां पर चुटकुलों और लघु कथाओं का सिलसिला शुरू हो गया। सुरेंद्र ने एक बहुत ही रोमांचक कहानी सुनाई। अनिल ने बहुत से चुटकुले सुनाये। मैंने एक रुचिकर दंतकथा सुनाई तथा नरेंद्र ने बहुत सी कहानियां सुनाई।
दोपहर के बाद, हमने ठन्डे पेय पदार्थों के साथ पकौड़े खाये। हमने यह सब पास के होटल से खरीदा था। उस समय चार बजे थे तो हम सभी अपना-अपना सामान बांधकर बस के लिए तैयार हो गए। हम सब बहुत ही खुश थे। जल्दी ही बस आई और हम सब बस में चढ़ गए। बस में भी हमने चुटकुलों का आनंद लियातथा कहानी सुनाते और हँसते रहे। मैं बहुत खुश भी था और थक भी चुका था। जब मैं घर पहुंचा तो थका हुआ लेकिन प्रसन्न था।
हम सुबह 10 बजे पार्क में पहुँच गए। .सबसे पहले हमने चाय बनाई व चाय के साथ नाश्ता किया, उसके बाद खेल व संगीत का आनंद लिया। अनिल के पास अपना गिटार व सुरेश के पास उसका ड्रम था। मैं टेप रिकॉर्डर भी साथ ले गया था। हम संगीत की धुन को सुनकर ताली बजाकर गए रहे थे। नरेंद्र अपना रेडिओ लेकर आया था और गोविन्द ने बहुत ही सुरीला गाना गाया।
इसके बाद हम इस सुन्दर और विशाल पार्क में घूमने गए। वहां पर बहुत से लोगों के समूह पिकनिक के मजे ले रहे थे। चारों तरफ रंग-बिरंगे फूल लहरा रहे थे। हमने फोटो खींचे तथा दोपहर का भोजन किया। खाना बहुत ही स्वादिष्ट था। उसमें बहुत सी स्वादिष्ट चीजें थीं। उसके बाद हमने एक बहुत बड़े छायादार पेड़ की छाँव में थोड़ी देर आराम किया। तत्पश्चात वहां पर चुटकुलों और लघु कथाओं का सिलसिला शुरू हो गया। सुरेंद्र ने एक बहुत ही रोमांचक कहानी सुनाई। अनिल ने बहुत से चुटकुले सुनाये। मैंने एक रुचिकर दंतकथा सुनाई तथा नरेंद्र ने बहुत सी कहानियां सुनाई।
दोपहर के बाद, हमने ठन्डे पेय पदार्थों के साथ पकौड़े खाये। हमने यह सब पास के होटल से खरीदा था। उस समय चार बजे थे तो हम सभी अपना-अपना सामान बांधकर बस के लिए तैयार हो गए। हम सब बहुत ही खुश थे। जल्दी ही बस आई और हम सब बस में चढ़ गए। बस में भी हमने चुटकुलों का आनंद लियातथा कहानी सुनाते और हँसते रहे। मैं बहुत खुश भी था और थक भी चुका था। जब मैं घर पहुंचा तो थका हुआ लेकिन प्रसन्न था।
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हमारी अर्द्धवार्षिक परीक्षाएँ हो चुकी र्थी । हमने मन लगाकर पढ़ाइ की थी । हम थक से गए थे । ऐसे समय में जब हमारे अध्यापक ने हमारे समक्ष पिकनिक जाने का कार्यक्रम रखा, तो हम खुशी से नाच उठे । कक्षा में ही पिकनिक के सम्बन्ध में की जाने वाली तैयारियों की विस्तृत चर्चा हो गई तथा ड्यूटियां लग गईं ।
लड़कों की चार-पाँच टोलियाँ बना दी गईं । खाने-पीने की सभी वस्तुएँ वही तैयार करने का कार्यक्रम बना । दो रसोइयों की व्यवस्था भी कर ली गई । पिकनिक से एक दिन पूर्व लड़कों की एक टोली ने बर्तनों की व्यवस्था कर लीं, दूसरी टोली फल, सब्जियाँ तथा भोजन के लिए अन्य सामग्री खरीद ले आई ।पिकनिक के दिन हम सुबह आठ बजे स्कूल पहुँच गए । बस खड़ी थी । सामान लादा गया । हम सभी बस में सवार हो गए । भगवान का नाम लेकर ड्राइवर ने बस चला दी । प्रस्थान का क्षण हमारे लिए सबसे अधिक खुशी का क्षण था । सभी लड़के मिलकर गीत गाने लगे । यह विचित्र अवसर था । इससे पूर्व लड़के जब भी इकट्ठे होते तो आपस में लड़ते- झगड़ते थे । मिलकर प्रेम से पहली बार बैठे हुए थे ।
परिणामस्वरूप सबके कंठ से एक ही गीत अकस्मात निकला । सबमें एकता तथा परस्पर सहयोग की भावना प्रकट हो रही थी । गर्मी का मौसम था । ठंडी हवा चल रही थी । बस तेजी से गन्तव्य की ओर भाग रही थी । दोनों ओर वृक्षों की पंक्तियाँ तथा उनके पीछे हरे भरे खेत मन को लुभा रहे थे । बस में ठंडे शर्बत की व्यवस्था की गई थी ।
चलती बस, चलती हवा, हाथों में ठंडे और मीठे शर्बत के गिलास तथा होठों पर मधुर गीत । हमें इतना मजा आ रहा था और हमें ऐसा लग रहा था जैसे हम स्वर्ग-लोक की ओर बढ़ रहे हैं । बीच-बीच में कुछ लड़के खुशी में उठकर नाचने लगते थे । हमारे नगर से दूर नदी के किनारे सुन्दर तथा भव्य बाग विकसित किया गया था ।
तरह-तरह के फूल तथा वृक्षों की घनी छांव के अतिरिक्त फुव्वारे तथा बच्चों के लिए झूले थे । इसी बाग को पिकनिक स्थली के रूप में हमने चुना था । दस बजे हम इस स्थल पर पहुँच गए । हमसे पहले कई स्कूल तथा कॉलेज के लड़के तथा लड़कियों की टोलियाँ पहुँची हुई थीं । वहाँ दो चार रेस्तरां तथा होटल भी थे । कई लोग अपने परिवार सहित वहाँ पहले ही उपस्थित थे ।
लड़कों की चार-पाँच टोलियाँ बना दी गईं । खाने-पीने की सभी वस्तुएँ वही तैयार करने का कार्यक्रम बना । दो रसोइयों की व्यवस्था भी कर ली गई । पिकनिक से एक दिन पूर्व लड़कों की एक टोली ने बर्तनों की व्यवस्था कर लीं, दूसरी टोली फल, सब्जियाँ तथा भोजन के लिए अन्य सामग्री खरीद ले आई ।पिकनिक के दिन हम सुबह आठ बजे स्कूल पहुँच गए । बस खड़ी थी । सामान लादा गया । हम सभी बस में सवार हो गए । भगवान का नाम लेकर ड्राइवर ने बस चला दी । प्रस्थान का क्षण हमारे लिए सबसे अधिक खुशी का क्षण था । सभी लड़के मिलकर गीत गाने लगे । यह विचित्र अवसर था । इससे पूर्व लड़के जब भी इकट्ठे होते तो आपस में लड़ते- झगड़ते थे । मिलकर प्रेम से पहली बार बैठे हुए थे ।
परिणामस्वरूप सबके कंठ से एक ही गीत अकस्मात निकला । सबमें एकता तथा परस्पर सहयोग की भावना प्रकट हो रही थी । गर्मी का मौसम था । ठंडी हवा चल रही थी । बस तेजी से गन्तव्य की ओर भाग रही थी । दोनों ओर वृक्षों की पंक्तियाँ तथा उनके पीछे हरे भरे खेत मन को लुभा रहे थे । बस में ठंडे शर्बत की व्यवस्था की गई थी ।
चलती बस, चलती हवा, हाथों में ठंडे और मीठे शर्बत के गिलास तथा होठों पर मधुर गीत । हमें इतना मजा आ रहा था और हमें ऐसा लग रहा था जैसे हम स्वर्ग-लोक की ओर बढ़ रहे हैं । बीच-बीच में कुछ लड़के खुशी में उठकर नाचने लगते थे । हमारे नगर से दूर नदी के किनारे सुन्दर तथा भव्य बाग विकसित किया गया था ।
तरह-तरह के फूल तथा वृक्षों की घनी छांव के अतिरिक्त फुव्वारे तथा बच्चों के लिए झूले थे । इसी बाग को पिकनिक स्थली के रूप में हमने चुना था । दस बजे हम इस स्थल पर पहुँच गए । हमसे पहले कई स्कूल तथा कॉलेज के लड़के तथा लड़कियों की टोलियाँ पहुँची हुई थीं । वहाँ दो चार रेस्तरां तथा होटल भी थे । कई लोग अपने परिवार सहित वहाँ पहले ही उपस्थित थे ।
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