Hindi, asked by harshitkumar, 1 year ago

An essay on apne liye jiye to kya jiye in hindi plz plz plz plz answer

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Answered by Kopal32
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Hum sbhi ko zindagi sirf ek dafa ek pal jine ke liye milti hai na uska koi nischit kal hai aur na aaj usi pal mein use jitna acha jee skte ho itne ji lo na jaane agle hi pal kaun si aisi paristhiti a an page ki aage mausa hi na mile kuch pal apne liye btao aur kuch dusro ki khushi ke liye jiska pramad hmari khud ki khushi hoti hai....... You can start and write ur own views which is imp. hope it helped u!!
Answered by Anonymous
6

Hello


♧ अनुच्छेद ।

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■ अपने लिए जिये तो क्या जिये ।


□ आपने अक्सर लोगों को कहते हुए सुना होगा कि मनुष्य वहीं जो मनुष्य के लिए जिये ।

यानी जो मनुष्य खुद के लिए नही बल्कि दूसरों के लिए जिये वहीं मनुष्य कहलाने का असली हकदार होता हैं । अन्यथा वे पशु के समान होते हैं ।


□ अपना क्या हैं अपने लिए तो पशु भी जी लेते हैं जिनके हाथ भी नहीं होते । अगर ऐसे ही पृथ्वी पर सबसे बुद्धिमान कहलाए जाने वाले मनुष्य भी ऐसा करने लगे तो दोनों में भेद कर पाना मुश्किल हो जाएगा । जो मानव जाति को शर्मनाक करने के लिए काफी हैं ।


□ इस कथन को और स्पष्ट करने के लिए आइये हम एक उदाहरण के माध्यम से हम इसे समझते हैं ।


■ परिवार


किसी भी परिवार में माता और पिता मुख्य होते हैं । जो स्वावलंबी ( अपने पैरों पर खड़ा होना ) होते हैं । और वही आपका ध्यान जैसे पढ़ाना , लिखना आपका हर प्रकार की जरूरतों को पूरा करना , किसी भी चीज की कमी ना होने देना आदि भली - भाँति करते हैं अगर वहीं खुद के बारे में सोचने व जीने लगे तो हर वह बच्चे का क्या होगा जो आत्मनिर्भर नहीं होता । सोचने में अजीब सा लगता हैं मगर ऐसा नहीं हैं । इस प्रकार हमें खुद के लिए नही बल्कि अन्य के लिए जीना चाहिए , ऐसा उदाहरण हमें अपने परिवार में ही देखने को मिलता है ।



■ शिक्षक


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□ जैसे एक शिक्षक खुद शिक्षित हो कर अन्य को शिक्षित कर देता हैं । अगर वह अपने लिए जीना शुरू कर दें तो अन्य छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा । जिससे देश का भविष्य खतरे की ओर अग्रसर होगा ।


□ इतिहास भी अब तक यही बताता हैं खुद के लिए जीने वाले पशु व दूसरों के लिए जीने वाले महान बनें ।


□ किन्तु आजकल के लोग स्वार्थी हो गए हैं । अब उन्हें दूसरों की कोई परवाह नहीं हैं । अगर सभी मनुष्य ऐसे ही जीने लगे तो इस संसार में मानवता व दया नाम की कोई चीज़ नहीं रह जाएगी । हाँ , हम कुछ अन्य लोगों को दूसरों की सहायता करते देखा होगा । असल में वही मनुष्य कहलाने के असली हकदार हैं ।


● निष्कर्ष


□ उपयुक्त कथन का निष्कर्ष यही निकलता है जिंदगी मिली हैं तो दूसरों की सहायता करों , उन्हें खुश रखो , जहाँ तक हो सकें किसी को भूखा न रहने दों , उनकी इच्छाओं की पूर्ति तन और मन लगाकर करों । जीने का सबसे बड़ा सुख यही हैं ।




अंत में


♡ प्राणी वहीं जो प्राणियों के लिए जिये ♡


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