Hindi, asked by 00UnknownBrain00, 6 months ago

अनुच्छेद लेखन ( 100-150 शब्द )
(क) कोरोना महामारी का विद्यार्थी जीवन पर प्रभाव ​

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Answered by bcnkiller
73

Explanation:

इस लॉकडाउन के समय में सारी दुनिया का बुरा और विचित्र हाल है। पहले कोरोना फिर उसके बाद में होने वाले प्रभाव का डर सबको भयभीत कर रहा है। सब अपने-अपने तरीके से कोरोना को मात देने की कोशिश कर रहे हैं।

अगर इस समय विद्यार्थियों की तरफ देखें तो यह समय उनके लिए बड़ा नर्वस, उदासी, अवसाद और तनाव भरा है लेकिन अचानक से अब विद्यार्थी   इस तनाव से निकलने के लिए उत्सुक दिख रहे हैं।  वही विद्यार्थी जो स्कूल, कालेज में बंक करके खुशी महसूस करते थे या छुट्टी की इंतजार करते थे, आज स्कूल, कालेज खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अभी  ऑनलाइन क्लासें लग रही हैं, जूम पर क्लासें लग रही हैं, वीडियो कांफ्रैंसिंग हो रही है, मीटिंग हो रही है, परन्तु फिर भी बहुत कुछ सूना और अधूरा लग रहा है।

हमारे जेआर मीडिया इंस्टीट्यूट (जो प्रसिद्ध पत्रकार अमर शहीद लाला जगत नारायण और शहीद रोमेश चन्द्र जी के नाम पर है), के हजारों जर्नलिस्ट, रिपोर्टर, टीवी एंकर, पेजमेकर, एक्स स्टूडेंट्स सारे देश में फैले हुए हैं और इस साल नए भी तैयारी कर रहे हैं। उनमें भी बड़ा जोश आैर उत्साह है कि कब उन्हें अपनी पत्रकारिता दिखाने का अवसर मिलेगा। वे फोन पर अपनी बेचैनी और उत्सुकता जाहिर करते हैं। हमारी स्पैशल टीम उनकी काउंसलिंग भी कर रही है और क्लासें भी ऑनलाइन तथा जूम पर चल रही हैं।

इस वक्त देश के विभिन्न भागों में फंसे लाखों स्टूडेंट्स, जो लॉकडाउन के कारण अपने घरों में नहीं जा पा रहे, बड़ी मुश्किल में हैं। कोरोना की सबसे बड़ी मार इन स्टूडेंट्स पर पड़ी है हालांकि सरकार ने इनके लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी है और सबको उनके घरों में पहुंचाने के बंदोबस्त किये जा रहे हैं। सबसे ज्यादा चिंता की बात दसवीं और बारहवीं के वे लाखों छात्र हैं जो सीबीएसई परीक्षा देने के बाद अब रिजल्ट को लेकर इसलिए फंस गए हैं क्योंकि पहले दिल्ली में दंगे हुए और बची-खुची कसर कोरोना ने पूरी कर दी। 

एचआरडी मंत्रालय और सीबीएसई के अफसर सचमुच बहुत मुश्किल में हैं कि अभी 29 विषय रह गए हैं जिनकी परीक्षाएं नहीं हुई हैं। बारहवीं के बच्चे कल जब एडमिशन के लिए कॉलेज में जाएंगे तो उनके रिजल्ट को लेकर वो चिंतित हैं और सरकार की चिंता यह है कि जो बाकी विषय परीक्षा से रह गए हैं उनकी परीक्षा कैसे ली जाए। दसवीं और बारहवीं को लेकर सरकार ने स्पष्टीकरण दो दिन पहले जारी कर दिया कि जो परीक्षाएं रह गई हैं वो दोबारा ली जाएंगी और तब ली जाएंगी जब सब-कुछ संभव होगा। सब-कुछ संभव का मतलब निकालना स्टूडेंट्स के लिए बहुत कठिन है। जब लॉकडाउन खत्म हो जाएगा तो दसवीं और बारहवीं की बची हुई परीक्षाएं होंगी। अब यह तो नहीं पता कि महामारी कोरोना का खात्मा कब होगा क्योंकि लॉकडाउन धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है। पिछले दिनों दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने जब यह कहा कि दसवीं के बच्चों को भी नौंवी और ग्यारहवीं की तरह प्रमोट कर दिया जाए। उन्होंने इसका नियम भी बताया कि जो परीक्षाएं हो चुकी हैं उनमें जितने मार्क्स आए हैं उसकी औसत निकालकर बाकी बची परीक्षाओं में इसे जोड़ दिया जाए या फिर इंटरनल असेसमेंट के आधार पर दसवीं के स्टूडेंट्स को आगे बढ़ा दिया जाए। एक्सपर्ट्स की राय भी यही थी लेकिन इससे पहले कि इस विचारधारा पर काम होता, 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि एचआरडी मंत्रालय और सीबीएसई ने दसवीं-बारहवीं की बची हुई परीक्षाएं यथासंभव आयोजित कराने का ऐलान कर दिया। 

हमारा यह मानना है कि इससे स्टूडेंट्स का स्ट्रेस बढ़ा ही है। दसवीं-बारहवीं के बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं। दिल्ली के कालेजों में एडमिशन बहुत ही कठिन होता है। पांच-पांच, छह-छह कटआफ लिस्ट के बावजूद 60 से 70 प्रतिशत वाले छात्र-छात्राएं एडमिशन से वंचित रह जाते हैं। हालांकि ऑनलाइन सिस्टम स्कूल स्तर पर जारी है लेकिन दसवीं और बारहवीं के नीचे के स्तर पर बच्चे ऑनलाइन से जुड़े हैं लेकिन अब इन बच्चों की बची हुई परीक्षाओं को लेकर सरकार को कुछ न कुछ स्पष्ट जरूर करना होगा। शिक्षा के मामले में बच्चों के तनाव को खत्म करना होगा और स्पष्टीकरण भी स्पष्ट होना चाहिए कि आखिरकार बची हुई परीक्षाएं कब होंगी या फिर जो परीक्षाएं हुई हैं उनके मार्क्स चेक किये जाएं और जो परीक्षाएं नहीं हुईं उन दोनों के बीच में तालमेल बैठाकर कुछ अंक निर्धारित करते हुए स्टूडेंट्स आगे बढ़ाए जाने चाहिए, ऐसी राय एक्सपर्ट्स की है जिन्हें हम सोशल मीडिया पर और टीवी पर रोज सुन रहे हैं। अलग-अलग कैटेगरी के 8 से 29 विषय हैं जिनकी परीक्षाएं होनी हैं। समय बहुत संवेदनशील है, बच्चे आगे आर्ट्स लेंगे, कामर्स लेंगे, मेडिकल या नान मेडिकल या फिर बीबीए, बीसीए या फिर मास-काॅम में जाएंगे यह फैसला दसवीं और बारहवीं का रिजल्ट ही करेगा। जिसकी दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है और टेंशन बढ़ती जा रही है। सरकार को इसका जल्द हल निकालना होगा। 

मेरा मानना है कि इस कोरोना काल में साल भर की मेहनत के अनुसार विद्यार्थियों को फर्स्ट, सैकेंड सैमेस्टर के हिसाब या कोई आंकन का मापदंड तय कर सबको आगे वाली क्लास में प्रमोट कर देना चाहिए।

hope it helps you

Answered by suhel011543
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Answer:

कोरोना वायरस एक वैश्विक महामारी के रूप में पूरे विश्व को अपने पंजो में जकड़ लिया है। चीन के वुहान शहर से निकलकर  इस वायरस ने पूरे दुनिया की अर्थव्यवस्था को घुटनो पर लाकर रख दिया है। इस वायरस ने लाखो लोगों की जान ले ली है और कई लोग इस वायरस से संक्रमित है। भारत में 2 लाख से ज़्यादा लोग इस वायरस से प्रभावित है। भारत में लॉकडाउन का पांचवा चरण चल रहा है और समाजिक दूरी इसका एकमात्र उपाय है। इसके चलते दुकान, दफ्तर, विद्यालय और सार्वजनिक स्थल इत्यादि पर ताले लग चुके है।

कोरोना वायरस ने भारत की शिक्षा को प्रभावित किया है। फिलहाल मार्च महीने से लॉकडाउन की वजह से विद्यालय बंद कर दिए गए है। सरकार ने अस्थायी रूप से स्कूलों और कॉलेजों को बंद कर दिया है। वर्तमान स्थिति के अनुसार एक अनिश्चितता है कि स्कूल कब खुलेंगे। शिक्षा क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण समय है क्यों कि इस अवधि के दौरान प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। इसके साथ बोर्ड परीक्षाओं और नर्सरी स्कूल प्रवेश इत्यादि सब रुक गए  है। शिक्षा संस्थानों के बंद होने का कारण दुनिया भर में लगभग 600  मिलियन शिक्षार्थियों को प्रभावित करने की आशंका जातायी जा रही है।

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