अनुच्छेद लेखन
निम्नलिखत में से किसी एक विषय पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए
ईसा मसीह
संकेत बिंदू- 1. जन्म 2. बचपन 3 दीक्षा 4. संदेश 5. मृत्यु दर
Answers
Explanation:
यीशु या यीशु मसीह[10] (इब्रानी :येशुआ; अन्य नाम:ईसा मसीह, जीसस क्राइस्ट), जिन्हें नासरत का यीशु भी कहा जाता है, ईसाई धर्म के प्रवर्तक हैं।[11] ईसाई लोग उन्हें परमपिता परमेश्वर का पुत्र और ईसाई त्रिएक परमेश्वर का तृतीय सदस्य मानते हैं। ईसा की जीवनी और उपदेश बाइबिल के नये नियम (ख़ास तौर पर चार शुभसन्देशों: मत्ती, लूका, युहन्ना, मर्कुस पौलुस का पत्रिया, पत्रस का चिट्ठियां, याकूब का चिट्ठियां, दुनिया के अंत में होने वाले चीजों का विवरण देने वाली प्रकाशित वाक्य) में दिये गये हैं। यीशु मसीह को इस्लाम में ईसा कहा जाता है, और उन्हें इस्लाम के भी महानतम पैग़म्बरों में से एक माना जाता है। उन्हें इस्लामी परम्परा में भी एक महत्वपूर्ण पैग़म्बर माना गया है, तथा क़ुरान में उनका ज़िक्र है।
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Answer:
25 दिसम्बर को ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह का जन्म हुआ था। क्रिसमस शब्द का जन्म क्राईस्ट्स मास शब्द से हुआ है। ऐसा अनुमान है कि पहला क्रिसमस रोम में 336 ईस्वी मेंमनाया गया था। यह प्रभु के पुत्र जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन को याद करने के लिए पूरे विश्व में 25 दिसम्बर को मनाया जाता है। बाइबिल के अनुसार ईसा मसीह का जन्म मरियम की कोख से उनके विवाह से पूर्व ईश्वरीय प्रभाव से हुआ था। मरियम गलीलिया सहर के नाजरेथ गाव में रहती थी एवम् उनकी सगाई एक बढ़ई हुई थी, जिसका नाम यूसुफ था जो दाऊद राजवंशी थे । सादी से पहले गरभवती होने के कारण यूसुफ को मरियम के चरित्र की चिंता थी पर एक रात एक फरिस्त्ते ने उनके सपने में आकर उनकी चिंता का समाधान किया ओर ईश्वर की आज्ञा पाकर मरियम से विवाह किया विवाह के कुछ समय पश्चात यूसुफ ने आपना सहर छोड़कर बेथलहेम नामक नगरी में रहने लगे कहा ईसा मसीह का जन्म हुआ। वहा के राजा हेरोद के अत्याचार से ईसा मसीह को बचाने के लिए यूसुफ मिस्त्र नामक गांव की ओर भागने लगे । लेकिन तभी हेरोद के मृत्यु होने की कारण वह वापस वहीं लौट कर आ गए और बस गए । ईसा जब बारह वर्स के हुए यरुसमल में तीन दिन मंदिर में रुके वहा वह उपदेशकों के बीच में उठने बैठने लगे और साथ ही उनसे प्रश्न उत्तर करने लगे । ईसा मसीह की समझ और उनके जवाबों से सभी लोग आश्ररयचकीत हो गए ।कुछ समय बाद फिर वो अपने गांव लौट गए । ओर लगभग तीस साल की उम्र तक ईसा ने बढ़ ई का काम किया । 30 साल की उम्र में उन्होने पानी में दीक्षा ली। कहा जाता है कि दीक्षा के बाद ईसा पर पवित्र आत्मा का पहरा हो गया 40 दिन के उपवास के बाद ईसा लोगो को शिक्षा देने लगे ।एवं ईसा ने कमायात के दिन पर खास जोर भिं दिया था। यहूदी के कटरपंथी गुरु ओ ने ईसा का भारी विरोध किया क्योंकि उन्हें अपने कर्मकांडो से प्रेम था ।इसीलिए उन्होंने उस वक़्त के रोमन गवर्नर पीलातुस उनके विरूद्ध इसकी सिकायत कर दी। रोमन लोगो को हमेशा यहूदी क्रांति का दर रहता था इसीलिए उन्होंने कतरोंथिओ को खुश करने के लिए ईसा को कृस पर मोत की दर्दनाक सजा सुनाई। सुक्रवार के दिन उनकी मौत हुई थी । बाइबिल के अनुसार मौत के तीन दिन बाद ईसा फिर पुनर्जीवित हुए थे । ओर इस घटना को ईस्टर के रूप में मनाया जाता हैं और इसके 40 दिन बाद ईसा सीधे स्वर्ग में चले गए थे । अप्रैल के महीने में दिन सुक्रवर को गूड फ्राई डे मनाया जाता हैं जिसे सोक दिवस के रूप में मनाते है।ईसा सुली पे 6 घंटे तक लटके रहे और आखरी के 3 घंटे के दौरान पूरे राज्य में अंधेरा हो गया ओर फिर एक चीख आई और उसी के साथ प्रभु ने अपने प्राण त्याग दिए और एक तेज जलजला आया था वो प्रभु की आत्मा थी।