अनुच्छेद लेखन :सभा भवन का शिष्टाचार संकेत बिंदु
प्रवेश और आसन
कार्यक्रम प्रस्तुति के बीच
सराहना उत्साह वर्धन
कार्यक्रम समाप्ति पर
Answers
किसी महत्वपूर्ण विषय पर विचार करने के लिए सभा का आयोजन किया जाता हैं। सभा में विशिष्ट गण्यमान्य, विद्वान, अनुभवी वृद्धजन भाग लेते हैं।
सभा के समस्त नियमों को पहले ही पढ़ या जान लेना चाहिए। सभा में सम्मिलित लोगो एवं दर्शकों को विभिन्न शिष्टाचार का पालन करना पड़ता हैं। क्यों कि शिष्टाचार ही सभा की शोभा होती हैं। सभा के विषय प्रायः बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं। जिन पर गम्भीर वाद- विवाद होता हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति जो सभा में किसी भी रूप से सम्मिलित होता हैं, उसे सभा भवन में शिष्टाचार का पालन करना अतिआवश्यक हैं।
सभा में प्रवेश हमेशा लाइन में करना चाहिए। भीड़ या झुण्ड के रूप में नहीं चलना चाहिये। यदि जूते बाहर खोलने की व्यवस्था हो तो इसका पालन किया जाना चाहिए।
सभा में अपना नियत स्थान ग्रहण करना चाहिए। दर्शको के लिये स्थान और प्रमुख व्यक्तियों के लिये स्थान तय होते हैं। इन तय स्थानों पर ही बैठना चाहिए।
कार्यक्रम प्रस्तुति के बीच आपस में या फोन पर बातचीत नहीं करनी चाहिए। अपने नियत स्थान पर बैठे रहना चाहिए, अनावयश्क खड़े नहीं होना चाहिए।
वक्ता का उत्साहवर्धन करना चाहिए। ताली बजाकर या सराहना ध्वनि का प्रयोग किया जा सकता हैं, किन्तु इस बात का खास ध्यान रखा जाना चाहिए कि इसकी अति न हो, और सभा का अनुशासन भंग नहीं होना चाहिए।
सभा की समाप्ति के बाद लाइन बनाकर क्रम से बाहर निकलना चाहिए। जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
इस प्रकार सभा के सभी नियमों का पालन करना चाहिए। अनुशासन बनाएं रखना चाहिए।