Hindi, asked by vatssunil1984, 7 months ago

अनुच्छेद विद्या धन अनमोल है
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Answered by Aditya7adi
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Answer:

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। खान-पान और रहन-सहन के अतिरिक्त उसकी कुछ अन्य आवश्यकतांए भी हैं। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उसे साधन ढूंढने पड़ते हैं। साधनों का मूल है-धन, ज्ञान, चातुर्य और इनका आधार ‘विद्या’ है। इसलिए यह विद्या एक अनोखा धन है, जो दान करने से तो बढ़ता है, परंतु गाडक़र रखने से नष्ट हो जाता है।

विद्या अमूल्य और अनश्वर धन है। इसका नाश कभी नहीं होता। लेकिन अन्य सभी धन नष्ट हो जाते हैं। स्वणमयी लंका को रावण भस्म होने से न बचा सका। बल का धन भी समाप्त हो गया। श्रीराम से पराजित हुआ। उसका सब कुछ छिन गया, परंतु उसका विद्या-ज्ञान श्रीराम ने छीन सके। कहा जाता है कि युद्धभूमि में पड़े रावण से लक्ष्मय ने राजनीति का ज्ञान प्राप्त किया था। विद्या कामधेनु गाय के समान है। जिसके पास विद्या है, उसके लिए संसार की कोई भी वस्तु अप्राप्य नहीं।

विद्या मनुष्य का बृहत रूप है। वह मनुश्य के अंदर छिपा हुआ गुप्त धन है। विद्या से सब प्रकार का सुख और यश प्राप्त होता है। विद्या विदेश में भाई के समान सहायक होती है। विद्या के कारण ही राजदरबार में सम्मान मिलता है, बल और धन के कारण नहीं। इसलिए विद्या को सबसे श्रेष्ठ धन कहा जाता है।

‘बिना पढ़े नर पशु कहलावे’- विद्या से हीन मनुष्य पश्ुा के समान है। आज हम जिस समाज में रहते हैं, पहले ऐसा नहीं था। पशु और पक्ष्ज्ञियों की ही तरह मनुष्य भी केवल पेट भरना और सो जाना भर जानता था। धीरे-धीरे उसने विद्याध्ययन किया और ज्ञान प्राप्त किया।

विद्या के द्वारा मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है। तभी मनुष्य अपने अधिकार और कर्तव्यों का सही अर्थ समझ पाता है। मनुष्य अपने अधिकार और कर्तव्यों का सही रूप से पालन कर पाता है। समाज के हर मनुष्य को अपने अधिकार और कर्तव्यों के प्रति जागरुक होना चाहिए। ऐसा विद्या से ही संभव है। विद्या प्राप्त करने से मनुष्य में विनम्रता आती है। विनम्रता से मनुष्य सम्माननीय बनता है। विद्या के बिना मनुष्य अंधे के समान है।

विद्या ऐसा धन है जिसे न चोर चुरा सकता है, न राजा दंड में ले सकता है, न भाई बांट सकता है और न कभी यह बोझ हो सकता है। अत: हर एक व्यक्ति को अधिक से अधिक विद्या प्राप्त करनी चाहिए – ‘सुख चाहे विद्या पढ़े, विद्या है सुख-हेतु।’

Answered by sanket2612
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Answer:

विद्या धन अनमोल है

कहावत का वास्तविक अर्थ है 'ज्ञान शक्ति है', ज्ञान वास्तव में एक शक्ति है और ज्ञान की शक्ति लगभग सब कुछ है। दरअसल, यही वह ज्ञान है जिसने मनुष्य और जानवरों में अंतर किया है। भौतिक शक्ति में मनुष्य जानवरों की तुलना नहीं कर सकता है लेकिन ज्ञान की शक्ति के कारण ही पृथ्वी पर सबसे शक्तिशाली प्राणी के रूप में गिना गया है।

मनुष्य शारीरिक रूप से जानवरों की तुलना में कमजोर है, फिर भी उन्होंने पृथ्वी पर सबसे शक्तिशाली प्राणी बनने के लिए वर्षों से चीजों को प्रबंधित किया है। क्योंकि वे ज्ञान से शक्ति प्राप्त करते हैं और शारीरिक शक्ति पर निर्भर नहीं होते हैं। मनुष्य प्रकृति के चतुर प्राणी हैं, उनमें ज्ञान प्राप्त करने और अपने ज्ञान, अनुसंधान और अनुभवों को नई पीढ़ियों तक पहुँचाने के लिए पुस्तकों में संरक्षित करने की क्षमता है। ज्ञान उन्हें यह जानने की शक्ति देता है कि प्रकृति की शक्तियों को कैसे नियंत्रित किया जाए और फिर उनका लाभ उठाने के लिए उपयोग किया जाए।

#SPJ2

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