अनुछेद लेखन-स्वास्थ् ही धन है
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स्वास्थ्य ही धन है
हम सब जानते हैं कि स्वास्थ्य का हमारे जीवन में अत्यंत महत्तव है। इसके बिना जीवन बिल्कुल नरक है। स्वास्थ्य के बिना मनुष्य का जीवन, जीवन नहीं रहता अर्थात् उसके जीवन में कोई रस नहीं रहता, जीवन भी मृत्यु के समान प्रतीत होता है। स्वास्थ्य के बिना धनवान् व्यक्ति भी धन का उचित लाभ नहीं उठा सकता, भौतिक सुखों को प्राप्त नहीं कर सकता। यदि व्यक्ति स्वस्थ न हो तो उसे सोने की चमक और चांदी की खनक भी लुभावनी नहीं लगती क्योंकि रोग, शारीरिक पीड़ा उसके मन में ऐसी मानसिक वेदना उत्पन्न करते हैं कि उसे अपना जीवन नरक तुल्य प्रतीत होता है। स्वास्थ्य विहीन मनुष्य को स्वादिष्ट से स्वादिष्ट भोजन भी विष के समान प्रतीत होता है, संगीत की मधुर स्वर लहरियां उसे आग के समान जलाने वाली लगती हैं। प्रकृति सुषमा उसे अंगारों के समान प्रतीत होती है। इसके विपरीत स्वस्थ व्यक्ति जीवन का रस पूरी तरह से भोगता है। घण्टों काम करने पर भी वह थकता नहीं है, निराशा उसके पास तक नहीं फटकती। अच्छा स्वास्थ्य व्यक्ति के मन में उत्साह, जोश और उमंग भर देता है। अतः हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सचेत रहना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि अपने साथ साथ दूसरों को भी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करें।