Hindi, asked by akshitranjan0007, 8 months ago

अनुछेद लेखन :- सतसंगति का महत्व

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Answered by siddhi292008
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सत्संगति से ही मनुष्य में गुण-दोष आते हैं।’ मनुष्य का जीवन अपने आस-पास के वातावरण से प्रभावित होता है। मूलरूप से मानव के विचारों और कार्यों को उसके संस्कार व वंश-परम्पराएँ ही दिशा दे सकती हैं। यदि उसे स्वच्छ वातावरण मिलता है तो वह कल्याण के मार्ग पर चलता है और यदि वह दूषित वातावरण में रहता है तो उसके कार्य भी उससे प्रभावित हो जाते हैं।

संगति का प्रभाव - मनुष्य जिस वातावरण एवं संगति में अपना अधिक समय व्यतीत करता है उसका प्रभाव उस पर अनिवार्य रूप से पड़ता है। मनुष्य ही नहीं वरन् पशुओं एवं वनस्पतियों पर भी इसका असर होता है। मांसाहारी पशु को यदि शाकाहारी प्राणी के साथ रखा जाए तो उसकी आदतों में स्वयं ही परिवर्तन हो जाएगा। यही नहीं मनुष्य को भी यदि अधिक समय तक मानव से दूर पशु-संगति में रखा जाए तो वह भी शनैः-शनैः मनुष्य-स्वभाव छोड़कर पशु-प्रवृत्ति को ही अपना लेगा।

सत्संगति का अर्थ - सत्संगति का अर्थ है-‘अच्छी संगति’। वास्तव में ‘सत्संगति’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है-‘सत्’ और संगति अर्थात् ‘अच्छी संगति’। ‘अच्छी संगति’ का अर्थ है-ऐसे सत्पुरूषों के साथ निवास जिनके विचार अच्छी दिशा की ओर ले जाएँ।

सत्संगति से लाभ - सत्संगति के अनेक लाभ हैं। सत्संगति मनुष्य को सन्मार्ग की ओर अग्रसर करती है। सत्संगति व्यक्ति को उच्च सामाजिक स्तर प्रदान करती है विकास के लिए सुमार्ग की ओर प्रेरित करती है बड़ी-से-बड़ी कठिनाइयों का सफलतापूर्वक सामना करने की शक्ति प्रदान करती है और सबसे बढ़कर व्यक्ति को स्वाभिमान प्रदान करती है। सत्संगति के प्रभाव से पापी पुण्यात्मा और दुराचारी सदाचारी हो जाते हैं। ऋषियों की संगति के प्रभाव से ही वाल्मीकि जैसे भयानक डाकू महान कवि बन गए तथा अंगुलिमाल ने महात्मा बुद्ध की संगति में आने से हत्या¸लूटपाट के कार्य को छोड़कर सदाचार के मार्ग को अपनाया। सन्तों के प्रभाव से आत्मा के मलिन भाव दूर हो जाते हैं तथा वह निर्मल बन जाती है।

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