अनाज का भण्डारण किस प्रकार किया जाता है? समझाइए।
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अनाज का भंडारण करने के लिए सबसे पहले थ्रेशिंग कार्य किया जाता है। फसल कटने के बाद अनाज के दानों के अलग करने के बाद उसके छिल्के आदि आवरण को हटाने के कार्य को ‘थ्रेशिंग’ कहते हैं। थ्रेशिंग करने के बाद अनाज को बोरियों में भरकर किसान अपने कर ले आता है या अपने अन्य किसी जगह पर भंडारण में रख देता है। थ्रेशिंग के बाद बचा हुआ चारा पशुओं के खाने के लिए जमा कर लेता है।
किसान अनाज का भंडारण अपने घर या अपने भंडारण गृह में कर लेता है और धीरे-धीरे आवश्यकतानुसार मंडी में मंडी बेचकर आता है। अनाज का भंडारण जिस जगह किया है वहां पर नमी ना हो और साथ ही कीट-पतंगे, चूहे और अन्य सूक्ष्म जीवों से अनाज सुरक्षित रहे इसके लिए पर्याप्त उपाय सुरक्षा उपाय किए जाते हैं। जब अनाज अत्याधिक मात्रा में हो और किसान के पास भंडारण की क्षमता ना हो तो अनाज के भंडारण के लिए मंडियों में या शहरों में सार्वजनिक भंडार ग्रह होते हैं जहां पर अनाज का भंडारण किया जा सकता है।
खेतों में बुवाई के बाद जब फसल कटकर तैयार हो जाता है तब मैं एक प्रकार की मशीन में डालकर कूरा तथा खाने योग्य वस्तु को अलग किया जाता है। जिन्हें हम थ्रेसिंग मशीन कहते हैं। उसके बाद किसान बोरों में भरकर अनाज को अनाज भंडारण में रखते हैं समय समय पर उसकी जांच भी की जाती है