" अनेकता में एकता" पर कहानी हिंदी में ..... It's urgent plzz tell the story fastly....
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एक प्राचीन मंदिर की छत पर बहुत सारे कबूतर आनंद से रहते थे.
मंदिर के वार्षिक उत्सव के लिए जब मंदिर की मरम्मत का कार्य शुरू हुआ तब सारे कबूतर गिरजाघर पर रहने चले गए.
गिरजाघर के कबूतरों ने नए कबूतरों को खुशी-खुशी रहने की जगह दे दी.
क्रिसमस का त्यौहार निकट था अतः गिरजाघर की पुनर्सज्जा की गई. इस कारण सभी कबूतरों को वहाँ से हटकर कोई और जगह देखनी पड़ी. उनका सौभाग्य था कि उन्हें पास की मस्जिद पर जगह मिल गई.
मस्जिद के पुराने कबूतरों ने नए मेहमानों का खुशी से स्वागत किया. फिर रमादान का समय आया और मस्जिद को पुनः रंगना था. सारे कबूतर वापस उसी पुराने मंदिर पर आ गए.
एक दिन मंदिर की छत से कबूतरों ने नीचे बाज़ार में कुछ जातिगत मुठभेड़ होते देखे. एक शिशु कबूतर ने अपनी माँ से पूछा, “ये लोग कौन हैं?”
माँ ने उत्तर दिया, “ये सब मनुष्य हैं.” शिशु ने पूछा, “पर ये सब आपस में झगड़ क्यों रहे हैं?”
माँ ने शिशु को समझाया, “मंदिर जाने वाले मनुष्यों को ‘हिन्दू’ कहते हैं, गिरजाघर जाने वाले मनुष्यों को ‘ईसाई’ कहते हैं और मस्जिद जाने वाले मनुष्यों को ‘मुस्लिम’ कहते हैं.”
शिशु कबूतर ने पूछा, “ऐसा क्यों है? जब हम मंदिर पर रहते थे हम कबूतर कहलाते थे, जब हम गिरजाघर में थे हम कबूतर कहलाते थे और जब हम मस्जिद में थे तब भी हम कबूतर कहलाते थे. इसी प्रकार वे जहाँ भी जाएँ उन्हें केवल ‘मनुष्य’ के नाम से ही पुकारा जाना चाहिए.”
माँ कबूतर ने जवाब दिया, ” तुम, मैं और हमारे सभी कबूतर साथी एक दूसरे में कोई अंतर नहीं समझते हैं और आपस में मिल-जुलकर, शांतिपूर्वक रहते हैं. इन लोगों ने अभी तक यह नहीं सीखा है. यद्यपि सारे ‘मनुष्यों’ का एक ही स्त्रोत है और सब में वही ईश्वर विद्यमान है, परन्तु ‘मनुष्य’ इस बात को भूल गया है. इस कारण से ये एक-दूसरे से झगड़ते रहते हैं.”
सीख:
हम सब सर्वप्रथम मनुष्य हैं और एक समान हैं. आइए एक दूसरे का आदर करें और एक शांतमय व स्नेहमय संसार के लिए एकजुट होकर रहें.