'अन्न न भावै नींद न आवै' का क्या कारण है? ऐसी स्थिति क्यों हो गई है?
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‘अन्न ना भावे नींद ना आवे’ ऐसी स्थिति इसलिए हो गई है, क्योंकि कबीर ईश्वर की भक्ति में पूरी तरह लीन हो चुके हैं, डूब चुके हैं। वह ईश्वर को ही अपना सब कुछ मानने लगे हैं। ईश्वर के अलावा उन्हें संसार की किसी भी वस्तु में कोई भी आकर्षण नहीं रह गया है। वे ईश्वर को पति तथा स्वयं को उनकी पत्नी समान मानकर प्रेमी-प्रेमिका कल्पना कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में ईश्वर रूपी प्रियतम से विरह होने के कारण उन्हें कुछ नहीं भा रहा है उन्हें नहीं खाना भोजन अच्छा लग रहा है ना ही अपने ढंग से नींद आ रही है क्योंकि वह अपने ईश्वर रूपी प्रीतम की विरह की अग्नि में तड़प रहे हैं
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