अन्न पराया पाइ के, खाओ पेट अघाइ | देह मिले फिर फिर यहां, अन्य परायो नाही ||
में कौन सा रस है
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करूण रस होगमेरे हिसाब से
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हास्यरस
Explanation:
इस काव्य में दूसरे के अन्न को खूब खाने को कहा गया है और कहा गया है कि शरीर बार-बार मिलेगा, पर दूसरे का अन्न नहीं!
यही तो हास्य है ।
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