) अनुरा छपवास,महात्मागीली नाफर से विज विजया विजया भालेराव अपने जीवनस्कमक करना र पने पिताजी लिना पर को in formal letter
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अनुराग छात्रावास महात्मा गांधी मार्ग नगर पुर से विजय भालेराव अपने जीवन स्वप्न का वर्णन करते हुए अपने पिताजी को पत्र लिखता है :
प्रेषक : अनुराग,
छात्रावास,
महात्मा गाँधी मार्ग,
आदरणीय पिता श्री,
नमस्ते पिता जी आशा करता हूँ, आप ठीक होंगे| मैं भी छात्रावास में ठीक हूँ | यहाँ छात्रवास में सब कुछ बहुत अच्छा है | मेरी पढ़ाई भी बहुत अच्छी चली है | पिता जी पत्र में आपको अपने स्वप्न के बारे में बताना चाहता हूँ | पिता जी मैं बारवीं कक्षा के बाद डॉक्टर बनना चाहता हूँ | मैं बहुत मेहनत करूंगा | पिता मुझे अपने अपने स्वप्न को पूरा करने के लिए आपका साथ चाहिए | अपना ध्यान रखना | आपके पत्र का इंतजार करूंगा |
आपका बेटा ,
विजय भालेराव
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