Hindi, asked by dildariya, 1 year ago

अनुराधा कहानी में अनुराधा का चारित्र नारी सशक्तीकरण का प्रतीक है सिंध कीजिए

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Answered by Vasu01
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विश्व में कोई भी कार्य बिना परिश्रम के सफल या संपन्न नहीं हो सकता। वस्तुतः परिश्रम की सफलता की कुंजी है। जिस प्रकार सूरज अपने प्रकाश से अंधकार को दूर भगा दैता है ठीक उसी प्रकार परिश्रम से मानव-जीवन सुखमय हो जाता है और परिश्रमी व्यक्ति का भविष्य उच्चवल हो जाता है।


कठिन परिश्रम किए बिना किसी की उन्नति नहीं हो सकती और न किसी को सुख-समृद्धि ही प्राप्त हो सकती है। यदि सामने भजन हो तो भी उसे ग्रहण करने का परिश्रम किए बिना हम उसका स्वाद भला कैसे ले कतेहैं। परिश्रम के द्वारा कठिन से कठिन कार्य संपन्न करना संभव हो जाता है। सभ्यता के विकास की कथा का निचोड़ भी यही है कि आज की विकसित मानव-सभ्यता प्राचीन पूर्जों के परिश्रम का फल है। संसार के सब विकसित देशों की विकास-यात्रा उनके देशवासियों के कठिन परिश्रम से संपन्न हुई है। विश्व के सफलतम वय्कतियों की जीवन-कथा का यही संदेश है कि उन्होंने जीवन में हर चुनौती का डटकर सामना रतहुए अथक परि8म किया। आलस्य उनके पास भी नहीं फटकने पाता था। वे कभी किसी के भरोसे नहीं बैठे और अपने परिश्रम के द्वारा उन्होंने असंभव को भी संभव कर दिखाया।


खम ठोक ठेलता है जब नर पर्वत के जाते पाँव उखड़-राष्ट्रकवि की ये पंक्ति सचमुच यथार्थ का वर्णन करती है। श्रमशील मनुष्य के आगे पहाड़ भी नहीं ठहर पाते। कठिन से कठिन झंजावातों से गुजरता हुआ 8मशील मानव अपना रास्ता ढूँढं लेता है। जिस व्यक्ति में कुछ विशेष प्रतिभा नहीं होती है वह भी केवल धैर्यपूर्वक कठिन परश्रम करता हुआ अपने लश्र्य को पा लेता है।


परिश्रमी हमेसा जीवन-युद्ध में विजयी होता है। परिश्रमी विद्यार्थी परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं और इसी प्रकार कठिन परिश्रम तथा लगन से कार्य करने .वाला हर व्यक्ति चाहे वह मजदूर  हो नौकरी पेशा हो या व्यापारी ही क्यों नहीं हो अवस्य ही उद्देश्य में सफल होता है। संसार के और देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों की जीवन-कथा से ज्ञात होता है कि उनका औद्योगिक साम्राज्य खाक से लाख और फिर अरब और खरब में केवल उनके लगन और परिश्रम के चलते पहुँचा। अपने देश में टाटा बिड़ला या धीरूभाई अंबानी सब परिश्रम से ही बड़े बने।

सच्ची लगन और निरंतर परिश्रम से सफलता बी अवश्य मिलती है। भाग्य के भरोसे बैटने वाले जीवन की हर दौड़ में पिछड़ जाते हैं और परिश्रमी अपना जीवन धन्य करते तथा सफलता का आनंद प्राप्त करते हैं। काहिल का जीवन सुख-सुविधाओं के अभाव में ही बीत जाता है  और वे अपनी काहिली के चलते तरक्की का हर अवसर गँवा देते हैं।


वयक्ति अपनी सुविधा साम्रर्थ्य तथा रूचि के अनुसार साहित्य संगीत कला विज्ञान व्यवसाय आदि कोई भी क्षेत्र चुने परन्तु सफलता के लिए लगन और कठिन परिश्रम आवश्यक है। कहावत है कि मेहनत का फल मीठा होता है।आज सचिन हो चाहे सानिया मिर्जा या फिर राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ही क्यों न हों सबने अपना-अपना स्थान कटिन परिश्रम करके बनाया है।परिश्रम के महत्व पर जितना भी लिखा जाए थोड़ा ही होगा।


धरती सब कागद करौं लेखनि सब बनराई।

सात समद की मसि करौं हरिगुण लिखा न जाई।


स्वयं भगवान् कृष्ण ने गीता में कर्म का उपदेश दिया है। गंगावतरण की पौराणिक कथा के नायक भगीरथ के श्रम की तासीर ऐसी है कि कठिन परिश्रम से संपन्न हुए या होने वाले किसी महान् कार्य के लिए भगीरथ प्रयत्न शब्दों का विशेषण प्रयुक्त किया जाता है। हमें याद रखना चाहिए- श्रमएव जयते।


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