Biology, asked by pratimadhankar, 8 months ago

अनुवांशिकी का अध्ययन हमें फ
सल उत्पादन बढ़ाने में कैसे मदद करता है

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Answered by Anonymous
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आनुवंशिकी (जेनेटिक्स) जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत आनुवंशिकता (हेरेडिटी) तथा जीवों की विभिन्नताओं (वैरिएशन) का अध्ययन किया जाता है। आनुवंशिकता के अध्ययन में ग्रेगर जॉन मेंडेल की मूलभूत उपलब्धियों को आजकल आनुवंशिकी के अंतर्गत समाहित कर लिया गया है। प्रत्येक सजीव प्राणी का निर्माण मूल रूप से कोशिकाओं द्वारा ही हुआ होता है। इन कोशिकाओं में कुछ गुणसूत्र (क्रोमोसोम) पाए जाते हैं। इनकी संख्या प्रत्येक जाति (स्पीशीज) में निश्चित होती है। इन गुणसूत्रों के अन्दर माला की मोतियों की भाँति कुछ डी एन ए की रासायनिक इकाइयाँ पाई जाती हैं जिन्हें जीन कहते हैं। ये जीन, गुणसूत्र के लक्षणों अथवा गुणों के प्रकट होने, कार्य करने और अर्जित करने के लिए जिम्मेवार होते हैं। इस विज्ञान का मूल उद्देश्य आनुवंशिकता के ढंगों (पैटर्न) का अध्ययन करना है अर्थात्‌ संतति अपने जनकों से किस प्रकार मिलती जुलती अथवा भिन्न होती है।

समस्त जीव, चाहे वे जन्तु हों या वनस्पति, अपने पूर्वजों के यथार्थ प्रतिरूप होते हैं। वैज्ञानिक भाषा में इसे 'समान से समान की उत्पति' (लाइक बिगेट्स लाइक) का सिद्धान्त कहते हैं। आनुवंशिकी के अन्तर्गत कतिपय कारकों का विशेष रूप से अध्ययन किया जाता हैः

प्रथम कारक आनुवंशिकता है। किसी जीव की आनुवंशिकता उसके जनकों (पूर्वजों या माता पिता) की जननकोशिकाओं द्वारा प्राप्त रासायनिक सूचनाएँ होती हैं। जैसे कोई प्राणी किस प्रकार परिवर्धित होगा, इसका निर्धारण उसकी आनुवंशिकता ही करेगी।

दूसरा कारक विभेद है जिसे हम किसी प्राणी तथा उसकी सन्तान में पाते या पा सकते हैं। प्रायः सभी जीव अपने माता पिता या कभी कभी बाबा, दादी या उनसे पूर्व की पीढ़ी के लक्षण प्रदर्शित करते हैं। ऐसा भी सम्भव है कि उसके कुछ लक्षण सर्वथा नवीन हों। इस प्रकार के परिवर्तनों या विभेदों के अनेक कारण होते हैं।

जीवों का परिवर्धन तथा उनके परिवेश (एन्वाइरनमेंट) पर भी निर्भर करता है। प्राणियों के परिवेश अत्यन्त जटिल होते हैं; इसके अंतर्गत जीव के वे समस्त पदार्थ (सब्स्टैंस), बल (फोर्स) तथा अन्य सजीव प्राणी (आर्गेनिज़्म) समाहित हैं, जो उनके जीवन को प्रभावित करते रहते हैं।

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