Hindi, asked by vermainderverma0, 7 months ago

अनुवाद कीजिए-
निम्नलिखित में से किसी एक पद्य का सरल हिन्दी में
5
(क) छायामन्यस्य कुर्वन्ति तिष्ठन्ति स्वयमातपे।
फलान्यपि परार्थाय वृक्षाः सत्पुरूषा इव।।
(ख) काष्ठादग्निर्जायते
मथ्यमानाद्
भूमिस्तोयं खन्यमाना
ददाति।
सोत्साहानां नास्त्यसाध्यं नराणां
मार्गारब्धाः सर्वयत्नाः फलन्ति ।​

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Answered by djALOK1246
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अनुवाद कीजिए-

अनुवाद कीजिए-निम्नलिखित में से किसी एक पद्य का सरल हिन्दी में

अनुवाद कीजिए-निम्नलिखित में से किसी एक पद्य का सरल हिन्दी में5

अनुवाद कीजिए-निम्नलिखित में से किसी एक पद्य का सरल हिन्दी में5(क) छायामन्यस्य कुर्वन्ति तिष्ठन्ति स्वयमातपे।

अनुवाद कीजिए-निम्नलिखित में से किसी एक पद्य का सरल हिन्दी में5(क) छायामन्यस्य कुर्वन्ति तिष्ठन्ति स्वयमातपे।फलान्यपि परार्थाय वृक्षाः सत्पुरूषा इव।।

अनुवाद कीजिए-निम्नलिखित में से किसी एक पद्य का सरल हिन्दी में5(क) छायामन्यस्य कुर्वन्ति तिष्ठन्ति स्वयमातपे।फलान्यपि परार्थाय वृक्षाः सत्पुरूषा इव।।(ख) काष्ठादग्निर्जायते

अनुवाद कीजिए-निम्नलिखित में से किसी एक पद्य का सरल हिन्दी में5(क) छायामन्यस्य कुर्वन्ति तिष्ठन्ति स्वयमातपे।फलान्यपि परार्थाय वृक्षाः सत्पुरूषा इव।।(ख) काष्ठादग्निर्जायतेमथ्यमानाद्

अनुवाद कीजिए-निम्नलिखित में से किसी एक पद्य का सरल हिन्दी में5(क) छायामन्यस्य कुर्वन्ति तिष्ठन्ति स्वयमातपे।फलान्यपि परार्थाय वृक्षाः सत्पुरूषा इव।।(ख) काष्ठादग्निर्जायतेमथ्यमानाद्भूमिस्तोयं खन्यमाना

अनुवाद कीजिए-निम्नलिखित में से किसी एक पद्य का सरल हिन्दी में5(क) छायामन्यस्य कुर्वन्ति तिष्ठन्ति स्वयमातपे।फलान्यपि परार्थाय वृक्षाः सत्पुरूषा इव।।(ख) काष्ठादग्निर्जायतेमथ्यमानाद्भूमिस्तोयं खन्यमानाददाति।

अनुवाद कीजिए-निम्नलिखित में से किसी एक पद्य का सरल हिन्दी में5(क) छायामन्यस्य कुर्वन्ति तिष्ठन्ति स्वयमातपे।फलान्यपि परार्थाय वृक्षाः सत्पुरूषा इव।।(ख) काष्ठादग्निर्जायतेमथ्यमानाद्भूमिस्तोयं खन्यमानाददाति।सोत्साहानां नास्त्यसाध्यं नराणां

अनुवाद कीजिए-निम्नलिखित में से किसी एक पद्य का सरल हिन्दी में5(क) छायामन्यस्य कुर्वन्ति तिष्ठन्ति स्वयमातपे।फलान्यपि परार्थाय वृक्षाः सत्पुरूषा इव।।(ख) काष्ठादग्निर्जायतेमथ्यमानाद्भूमिस्तोयं खन्यमानाददाति।सोत्साहानां नास्त्यसाध्यं नराणांमार्गारब्धाः सर्वयत्नाः फलन्ति ।

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