Hindi, asked by JasneelK3640, 11 months ago

‘अनल-किरीट’ कविता के आधार पर दिनकर के काव्य की विशेषताएँ लिखिए।

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Answered by RvChaudharY50
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Answer:

कवि दिनकर मैथिलीशरण गुप्त के बाद राष्ट्रकवि माने गये हैं। इनकी कविताओं में मूल रूप से राष्ट्रीय चेतना व्यक्त हुई है। इन्होंने भारतीय संस्कृति की गौरव-गरिमा को उजागर करने का प्रयास किया है। दिनकर किसी सम्प्रदाय, वाद, वर्ग या धर्म के पक्षपाती नहीं रहे। उन्होंने वे ही बातें कही हैं जो पूरे भारत राष्ट्र के लिए कल्याणकारी हैं। उनका दृष्टिकोण मानवतावादी है और मानवता के पुजारी का दृष्टिकोण कभी संकीर्ण नहीं हो सकता। भारतीय संस्कृति में लोकमंगल एवं परोपकार को सर्वश्रेष्ठ आदर्श माना गया है। इसके लिए उज्ज्वल भावों का प्रकाशन हुआ है। दिनकरजी ने इस विशेषता का अप्रतिम वर्णन किया है। ‘अनल-किरीट’ कविता में उन्होंने कालकूट पीकर भी सुधा-बीज बोने की बात कही है। इससे ‘परहित सरिस धर्म नहिं भाई’ इस मान्यता के अनुरूप ही दूसरों की भलाई करने की भावना व्यक्त हुई है।

भारतीय संस्कृति में शिवत्व की साधना प्रमुखता से की जाती है। शिवजी ऐसा देवता हुए जिन्होंने स्वयं विषपान किया, परन्तु वे दूसरों का सदा कल्याण ही करते रहे। ऐसे विषपायी लोग अपनी नहीं, दूसरों के हित की ही सोचा करते हैं। कवि दिनकर ने ‘अनल-किरीट’ कविता में यह प्रतिपादित किया है कि लोक-कल्याण के लक्ष्य को वही पा सकता है जो साहस, दृढ़ता और संघर्ष के साथ सफल जीवन जीने की ललक रखता है। इस तरह स्पष्ट हो जाता है कि दिनकर की कविता का मूल स्वर राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक है।

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