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भौतिकी में बहुत से तंत्रों (सिस्टम्स्) की ऐसी प्रवृत्ति होती है कि वे कुछ आवृत्तियों पर बहुत अधिक आयाम के साथ दोलन करते हैं। इस स्थिति को अनुनाद (रिजोनेन्स) कहते हैं। जिस आवृत्ति पर सबसे अधिक आयाम वाले दोलन की प्रवृत्ति पायी जाती है, उस आवृत्ति को अनुनाद आवृत्ति (रेसोनेन्स फ्रिक्वेन्सी) कहते हैं।
सभी प्रकार के कम्पनों या तरंगों के साथ अनुनाद की घटना जुड़ी हुई है। अर्थात यांत्रिक, ध्वनि, विद्युतचुम्बकीय अथवा क्वांटम तरंग फलनों के साथ अनुनाद हो सकती है। कोई छोटे आयाम का भी आवर्ती बल, जो अनुनाद आवृत्ति वाला या उसके लगभग बराबर आवृत्ति वाला हो, उस तंत्र में बहुत अधिक आयाम के दोलन पैदा कर सकता है।
अनुनादी तंत्रों के बहुत से उपयोग हैं। इनका उपयोग किसी वांछित आवृत्ति पर कम्पन (दोलन) पैदा करने के लिया किया जा सकता है; अथवा किसी जटिल कम्पन (जिसमें बहुत सी आवृत्तियों का मिश्रण हो; जैसे रेडियो या टीवी सिगनल) में से किसी चुनी हुई आवृत्ति को छाटने (फिल्टर करने) के लिये किया जा सकता है।
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अपवाद का राज्य अर्थात स्टेट ऑफ एक्सेप्शन। वर्तमान समय में जब विश्व एक फासीवादी लहर से गुज़र रहा है इसमें यह सिद्धांत राज्य के चरित्र को समझने के लिए बेहद अनिवार्य है। भारत की बीजेपी आरएसएस की फांसीवादी सरकार ने एक तरफ तो कई जन विरोधी कानूनों को पास किया। वहीं लोकतांत्रिक आवाज़ को दबाने के लिए कई दमनकारी कानूनों को आरोपित भी किया है।
भारत की जनता एक लम्बे समय से चुनावी लोकतंत्र के अंदर शासित होती आ रही है। जहां न केवल उन्हें उनकी बुनियादी मांगों के लिए संघर्ष करने के सारे अधिकार छीन लिया गए हैं, बल्कि उनकी चेतना में भी भय को डालने और पोषित करने का कार्य किया गया है।
केंद्रीय सरकार का यूएपीए खेल
हाल के मामले में, हाथरस केस की छानबीन कर रहे पत्रकार कप्पन पर UAPA आरोपित किया गया है। वहीं शरजील इमाम को इसी कानून के अंदर गिरफ्तार किये हुए 1 साल से ज़्यादा हो चुके हैं।
परन्तु सबसे हालिया मामला गाज़ीपुर बॉर्डर से आया जहां किसान कानूनों का विरोध कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत के ऊपर राज्य ने UAPA आरोपित किया है। तो ऐसे में यह बात भी उठाना लाज़िमी है कि ऐसे कानूनों के आधार को समझा जाए और राज्य के आर्थिक राजनीतिक आधार को कैसे मजबूत करता है।