Ankhe nikal ud jate poem
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आँखे निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते शव जीभ खींचकर कौवे, चुभला-चभला कर खाते भोजन में श्वान लगे मुरदे थे भू पर लेटे खा माँस चाट लेते थे, चटनी सैम बहते बहते बेटे
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