Hindi, asked by hazlindavarthi, 1 year ago

another poem on kathputli in hindi

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Answered by omkar824
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हॅ क्यों नारी समाज की कठपुतली ,

जकड रखी हॅ क्यों इसकी हथेली.

होती हॅ सदा वही कुरबान,

जलाकर सारे दिल के अरमान.

दुसरों की खुशियों की खातिर,

कर दी जीवन भर की खुशियां निछावर.

हजार गहरे जख्म दिल में लिए,

सदा मुस्कान ही ये होठों पर बिखेरे.

टुट जाती हॅ जब बुरी तरह दिल से,

रहती हॅ खामोश पीकर आंसु खुन के.

देखे होंगे नारी को सभीने हंसते हुए,

पर न देखे कोई जख्म उसमें छिपे हुए.

रखे कदम जब से इस धरती पे,

बीता बचपना पिता के छांव तले.

गुजारा जीवन सारा पति का नाम धरे,

बीता बुढापा बेटे के पांव तले.

नारी तो हॅ जीवन का आधार,

लोग करते हॅं उसकी एहमियत से इन्कार.

गर रुठ गयी नारी इस जग से,

फिर न टिक सकेगा तुम्हारा ये संसार,

फिर निभाएगा कॉन समाज के संस्कार.

सिखाएगा कॉन तुम्हें जीने का ढंग,

चलेगा न कोई सूनी डगर तुम्हारे संग.

देगा कॉन जीवन को आधार,

करेगा कॉन फिर तुमसे प्यार.

  राजश्री राजभर

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