Hindi, asked by Faziakhan, 3 months ago

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घड़े को जल स़े भर द़ेऩे पर उस़े मस्तक पर रखकर मीलों चल़े जाइए। एक ब ूँद पानी भी छलक कर

बाहर नह ीं गिऱेिा ककींतुजजस घ़ड़े में जल की मात्रा कम होिी, वह छलकता रह़ेिा, मानो वह पुकार-

पुकार कर कह रहा हो कक उसमें जल है। अथाह जल का स्वामी समुद्र वर्ाा काल में सामान्य

जस्थततयों में मयाादा लाूँघकर बाढ़ का आतींक नह ीं पैदा करता, ककींतुछोट -छोट नददयाूँअपऩे तटवती

क्ष़ेत्रों को तहस-नहस कर डालती हैं। इसी तरह जजस मनुष्य में वास्तववक ववद्वता होती है, वह अपऩे

पाींडडत्य का दढींढोरा नह ीं पीटता बजकक सदा ववनम्र एवीं तनरहींकार बना रहता है। कम पढ़ा-ललखा

व्यजतत ह बात-बात में लमथ्या पाींडडत्य-प्रदर्ान की च़ेष्टा करता है। जो वस्ततु ः धनवान होता है,वह

लोिों स़े यह नह ीं कहता-किरता कक वह धनवान है। उसका रहन-सहन, आचार-ववचार सादिी स़े प र्ा

होता है ल़ेककन साधारर् जस्थतत का व्यजतत सदैव यह ददखलाऩे का प्रयल करता है कक वह धनी और

सींपन्न व्यजतत है। अभावग्रस्त लोिों को सदा यह कुींठा ब़ेचैन बनाए रखती है कक व़े अभावग्रस्त हैं,

जजस पर ववजय पाऩे क़े ललए व़े लमथ्या-प्रदर्ान की आड ल़ेत़े हैं। प र्ाता िींभीरता एवीं ववनम्रता को

जन्म द़ेती है, ककींतुअपर् ाता चींचलता को। आज ववश्व में या समाज में जो भी आपाधापी, उत्त़ेजना तथा

अर्ाींतत ददखाई पडती है, उसका मल कारर् अध रापन ह है। धन, ववद्या, पद आदद की प र्ाता पर ह

र्ाींतत-सुख तनभार करत़े हैं।

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Answered by sehrali3b
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