Antrim parwas ke Parkar
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वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी को अंतरिम बजट (Interim Budget) पेश करेंगे. यह जेटली का लगातार छठा केंद्रीय बजट होगा. इस बार वे पूर्ण बजट की जगह अंतरिम बजट पेश करेंगे. क्या आप अंतरिम बजट का मतलब जानते हैं? आइए इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश करते हैं.
अंतरिम बजट (Interim Budget) को वोट ऑन अकाउंट (Vote on Account) कहा जाता है. इसे लेखानुदान मांग और मिनी बजट भी कहा जाता है.
वोट ऑन अकाउंट (Vote on Account) के जरिए सीमित अवधि के लिए सरकार के जरूरी खर्च को मंजूरी मिलती है. आम तौर पर जिस साल लोकसभा चुनाव होता है, उस साल सरकार अंतरिम बजट (Interim Budget) पेश करती है. चुनाव के बाद नई सरकार पूर्ण बजट (Budget) पेश करती है.
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 2014 में फरवरी में अंतरिम बजट (Interim Budget) पेश किया था. बाद में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जुलाई में पूर्ण बजट (Budget) पेश किया था. मोदी सरकार ने बजट के मामले में कई बदलाव किए हैं. उसने फरवरी के अंत में बजट पेश करने की परंपरा खत्म कर दी.
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अब फरवरी की शुरुआत में बजट पेश होने से वित्त वर्ष की शुरुआत यानी अप्रैल से ही मंत्रालयों को बजट (Budget) का पैसा आवंटित कर दिया जाता है. इससे सरकार के विभागों को बजट (Budget)का पैसा खर्च करने के लिए ज्यादा वक्त मिल जाता है. इसके अलावा कंपनियों को भी टैक्स और कारोबार से जुड़ी योजानाएं बनाने में मदद मिलती है.
मोदी सरकार ने रेलवे के लिए अलग बजट (Budget)पेश करने की परंपरा भी खत्म कर दी. पहले बजट (Budget)से पहले अलग रेल बजट (Rail Budget) पेश होता था.
जानकारों का कहना है कि 1 फरवरी को पेश होने वाला अंतरिम बजट (Interim Budget)मोदी सरकार के लिए काफी अहम होगा. सरकार आम चुनावों से पहले इसमें लोकप्रिय योजनाओं का एलान करेगी. इसके अलावा सरकार आर्थिक और वित्तीय मामलों से जुड़ा अपना विजन भी पेश करेगी. सरकार अब तक पेश अपनी योजनाओं के बारे में भी जानकारी देगी.
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