Anuchad on Matrubasha in Hindi (80/100) words.
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हमारा प्रारंभिक ज्ञान मातृभाषा द्वारा ही होता है और हम अपने भावी ज्ञान को भी वह हमें चाहे जिस भाषा द्वारा प्राप्त हो मातृ भाषा द्वारा प्राप्त किए हुए ज्ञान के आलोक में ही देखते हैं मातृभाषा हमारे बाल्यकाल की भाषा होने के कारण हमारे मानसिक संस्थान कामजबूत अंग बन जाती है मनुष्य चाहे जितना विदेशी रंग में रंग जाए किंतु मातृभाषा शब्दों में माता शब्द का अधिक महत्व दिया गया है और यह उचित भी है।यद्यपि हमारे जन्म का कारण माता और पिता दोनों ही हैं इसलिएह शरीर में अधिकांश भाग माता का होने से एवं उसके द्वारा हमारा भरण पोषण होने के कारण माता की ही महत्ता ज्यादा होती है इसलिए जन्म जन्मभूमि को मातृभूमि कहते हैं पित्र भूमि नहीं अमेरिका जर्मनी रूस आदि देशों में चाहे जो कुछ भी हो किंतु भारतवर्ष में ऐसा ही कहते हैं भारतवर्ष में माता शब्द को बढ़ा पवित्र माना गया है माता शब्द में एक साथ स्नेह और आदर का भाव होता है माता शब्द के सुनते ही इन भाव की जागृति हो जाती है और एक आनंद का अनुभव होने लगता है मातृभाषा के साथ भी यही भाव लगे हुए हैं
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