Hindi, asked by mandeepsifat, 10 months ago

Anuched lekhan about Internet in Hindi

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Answered by noor0888
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इन्टरनेट’ कम्प्यूटर व्यवस्था का जाल है जो उपग्रहों, टेलिफोन की लाइनों एवं प्रकाशीय केबिल के माध्यम से एक दूसरे से जुड़ा है । इन कम्प्यूटरों की पहुँच बहुत मूल्यवान एवं उपयोगी जानकारियों तक हो सकती है । प्रारम्भ में इन्टरनेट का प्रचलन केवल अमेरीका में था किन्तु पिछले दस वर्षों में इस प्रौद्योगिकी ने सम्पूर्ण विश्व में अपने पंख फैला लिये हैं ।

इन्टरनेट का प्रचलन 1986 में प्रारम्भ हुआ जब अमेरीका के रक्षा विभाग ने कुछ कम्प्यूटरों को प्रकाशीय केबिल के नेटवर्क द्वारा जोड़ा । इन नेटवर्क ने दूर-दराज के स्थानों पर आंकड़ों के प्रेषण के लिये उपग्रह का प्रयोग किया । बाद में अमरीका के कुछ विश्वविद्यालयों ने भी ‘इन्टरनेट’ के कार्य क्षेत्र में प्रवेश किया ।

मुख्य व्यवस्था जिसे ‘इन्टरनेट सर्वरस’ कहते हैं वह अमरीका में स्थापित थी । अब ‘इन्टरनेट’ एक वैश्विक संवृति है । प्रत्येक विद्यार्थी अपनी कम्प्युटर व्यवस्था एक टेलिफोन लाइन एवं एक मोंडम के द्वारा ‘इन्टरनेट’ तक पहुँच सकता है । इन्टरनेट की सेवा किसी सरकारी निकाय (जैसे: वी.एस.एन.एल, एम टी एंव एल इत्यादि) अथवा किसी निजी फर्म जिसे इन्टरनेट सेवा प्रबधक कहते हैं द्वारा उपलब्ध करायी जानी चाहिये ।

‘इन्टरनेट’ की सफलता का राज है ज्ञान, सूचना, जानकारी जो वहाँ से प्राप्त होती है । विशेषतायें जितनी अधिक होगी इंटरनेट के संचालन के उपयोग भी उतने अधिक होंगे । और यह अधिक से अधिक संख्या में उपयोगकर्ताओं को ‘इन्टरनेट हाईवे’ पर अर्किषित करेगा । इन्टरनेट एक विशेष तरह के ‘सॉफ्टवेयर’ का प्रयोग करता है जोकि एच.टी. एम. एल, जावा, वी.बी. एवं एस.जी.एम.एल. में विकसित किया जाता है ।

जो भी हो विद्यार्थियों को इन प्रोग्रामों के विषय में चिन्तित होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि ‘इन्टरनेट सर्फिग’ बहुत सरल है । ‘विंडो 98 साफ्टवेयर’ एवं ‘नेट स्केप नेविगेटर साफ्टवेटयर या इनमें से किसी एक को विद्यार्थी के कम्प्यूटर में लोड करके इनकी सहायता से ‘इन्टरनेट’ पर ‘सर्फ’ करना सम्भव है ।

‘इन्टरनेट’ से सम्प्रेषण की एक नवीन विधिक ‘ई-मेल’ प्राप्त हुई है । जो इसका सबसे बड़ा रोमांच है । विश्व के किसी भी कोने में हम ई-मेल भेज सकते हैं । ई-मेल के एक पृष्ट पर केवल तीस पैसे खर्चा आता है । इसके अतिरिक्त जैसे कि पहले बताया है । ‘इन्टरनेट’ का प्रयोग सूचनायें एकत्र करने के लिये किया जा सकता है ।

यह सूचनायें हमें सर्वरस के भँडारण क्षेत्र, जिन्हें हम ‘वेब साइट’ कहते हैं, से प्राप्त होती हैं । यह सूचनायें शिक्षा, चिकित्सा, साहित्य, सॉफ्ट-वेयर, कम्प्यूटर, व्यवसाय, मनोरंजन, मित्रता अथवा शौक से सम्बन्धित हो सकती हैं । व्यापार की कार्यविधि के लिये भी ‘इन्टरनेट’ का प्रयोग किया जाता है और इस संचालन को ‘इलेक्ट्रानिक कामर्स (ई-कामर्स) कहते है ।

सभी मुख्य समाचार पत्र-पत्रिकायें एवं विश्व के प्रसिद्ध ‘जनरल’ इन्टरनेट पर उपलब्ध है । इस सूचनाओं के सुपर हार्ड (उच्च राजमार्ग) पर हमारा ‘दूरदर्शन’ भी उपलब्ध है । इस तरह ‘इन्टरनेट’ पर असीम सम्भावनायें हैं । कोई भी विद्यार्थी अगर ‘इन्टरनेट’ पर बैठा है तो विश्व के किसी भी विषय पर कुछ ही घंटों में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकता है ।

कुछ विद्यार्थी शरारती प्रवृति के होते है । वह झूठी ई-मेल भेजने में अपना समय बिताते हैं । कुछ अन्य ऐसी ‘वेब साइट’ पर जाने का प्रयत्न करते हैं तो उनके मतलब की नहीं है । यह एक बुरी प्रवृति है जिसपर नियंत्रण रखना चाहिये । ‘इन्टरेनट’ का प्रयोग विकास के लिये किया जाना चाहिये ‘अपक्षय’ के लिये नहीं । एम.टी.एन.एल. द्वारा ‘इन्टरनेट’ की सुविधा 1500/- रुपये प्रति वर्ष के निम्न दर पर उपलब्ध है ।

दरों की भविष्य में और कम होने की सम्भावना है । कम्यूटर व्यवस्था ‘मोंडम’ एवं सम्बन्धित ‘हार्ड वेयर’ की दरों में और कटौती होने की उम्मीद है । ‘इन्टरनेट’ का प्रयोग करने वाले के पास एक ‘टेलिफोन लाइन’ होना आवश्यक है जो उसके कम्यूटर को आई.एस.पी से जोड़ेगा । भारत में यह सुविधा स्थानीय नेटवर्क्स द्वारा प्रदान की जा रही है ।

‘इन्टरनेट’ आज देश के हर शहर एवं नगर में उपलब्ध है । चार प्रमुख शहरों में ‘इन्टरनेट’ सुविधायें बहुत आसानी से बहुत निम्नदरों पर प्राप्त हैं । ‘इन्टरनेट’ भविष्य की प्रौद्योगिक है । आने वाले समय में ‘इन्टरनेट’ के माध्यम से दूर स्थान पर बैठ कर कार्यालयों का प्रबन्धन हो सकेगा । ‘इन्टरनेट’ की विशेषतायें हैं निम्न दरें, सूचनाओं की बाहुल्यता, पहुँच में तीव्रता एवं अच्छे स्तर का मनोरंजन ।

त्रुटि पूर्ण ‘टेलिफोन’ नेटवर्क अनावश्यक सूचनायें एवं विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न वेब साइट पर सर्फिंग करके समय का अपव्यय इसके सबसे बड़े दोष हैं । विद्यार्थी अपनी स्वयं की वेबसाइट का निर्माण एवं स्थापन कर सकते हैं इसके लिये उन्हें इन्टरनेट प्रोग्रामिंग सीखनी होगी ।

वह ‘इन्टरनेट’ का संचालन सीख सकते है, आने वाले समय में अच्छे ‘इन्टरनेट’ प्रोग्रामरस बन सकते हैं । विद्यार्थियों को ‘इन्टरनेट’ संचालन सीखना चाहिये एवं केवल उपयोगी जानकारी एकत्र करना चाहिये । आने वाली सदी में मानव सूचना प्राधौगिकी के एक नये युग में प्रवेश करेगा । इस रोमांचक युग की रीढ़ की हड्डी है ‘इंटरनेट’ ।

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Answered by mailpranav07
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Answer:

प्रस्तावना

इंटरनेट के माध्यम से आमजन का जीवन आसान हो गया है क्योंकि इसके द्वारा हम बिना घर के बाहर गये ही अपना बिल जमा करना, फिल्म देखना, व्यापारिक लेन-देन करना, सामान खरीदना आदि काम कर सकते है। अब ये हमारे जीवन का एक खास हिस्सा बन चुका है हम कह सकते है कि इसके बिना हमें अपने रोजमर्रा के जीवन में तमाम मुश्किलें का सामना करना पड़ सकता है।

इंटरनेट का उपयोग

इसकी सुगमता और उपयोगिता की वजह से, ये हर जगह इस्तेमाल होता है जैसे- कार्यस्थल, स्कूल, कॉलेज, बैंक, शिक्षण संस्थान, प्रशिक्षण केन्द्रों पर, दुकान, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, रेस्टोरेंट, मॉल और खास तौर से अपने घर पर हर एक सदस्यों के द्वारा अलग-अलग उद्देश्यों के लिये। जैसे ही हम अपने इंटरनेट सेवा प्रदाता को इसके कनेक्शन के लिये पैसे देते है उसी समय से हम इसका प्रयोग दुनिया के किसी भी कोने से एक हफ्ते या उससे ज्यादा समय के लिये कर सकते है। ये हमारे इंटरनेट प्लान पर निर्भर करता है। आज के अत्याधुनिक वैज्ञानिक युग में कंप्यूटर हमारे जीवन का मुख्य भाग बन गया है। इसके अभाव में आज हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते आज हम अपने रूम या ऑफिस में बैठे-बैठे देश-विदेश-जहाँ भी चाहें इंटरनेट द्वारा अपना संदेश भेज सकते हैं।

निष्कर्ष

इंटरनेट के हमारे जीवन में प्रवेश के साथ ही, हमारी दुनिया बड़े पैमाने पर बदल गई है इसके द्वारा हमारे जीवन में कुछ सकारात्मक तो कुछ नकारात्मक परिवर्तन हुए हैं। ये विद्यार्थीयों, व्यापारीयों, सरकारी एजेंसीयों, शोध संस्थानों आदि के लिये काफी फायदेमंद है। इससे विद्यार्थी अपने पढ़ाई से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते है, व्यापारी एक जगह से ही अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सकते है, इससे सरकारी एजेंसी अपने काम को समय पर पूरा कर सकती है तथा शोध संस्थान और शोध करने के साथ ही उत्कृष्ट परिणाम भी दे सकती है।

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