Hindi, asked by harshika23122010, 3 months ago

anuched lekhan on agar mai vidyalaya ki pradhanacharya hoti, pls answer me little fast as I have to submit it​


harshika23122010: thnx

Answers

Answered by manveermeena007
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Answer:

   र व्यक्ति का अपना एक जीवन लक्ष्या होता है। मेरी अभिलाषा है कि मैं प्रधानाचार्य बनूँ। आज के युग में बड़े बड़े आदर्श निर्धारित करते हैं। जैसे डाक्टर, इंजीनियर या वकील। मगर मैं प्रधानाचार्य ही बनना चाहता हूँ…।

    प्रधानाचार्य बनने के लिये मैंने अभी से मेहनत करनी प्रारम्भ कर दी है। मैं पढ़ाई की अच्छी से अच्छभ् डिग्री लेकर बी.एड., एम.ए. और एम.एड. करूँगा। तब अगर मैं प्रधानाचार्य बन गया तो….

    मुझे ज्ञात है कि प्रधानाचार्य का पद बहुत महत्वपूर्ण तथा उत्तरदायित्वपूर्ण होता है। किसी भी विद्यालय की प्रगति उसके प्रधानाचार्य पर निर्भर करती है। प्रधानाचार्य विद्यालय का केन्द्र बिन्दु होता है जिसके चारों ओर विद्यालय की सभी गतिविधियाँ केन्द्रित रहती हैं।

  यदि मैं किसी विद्यालय का प्रधानाचार्य होता तो उसकी उन्नति के लिये मैं दिन रात एक कर देता। मेरे विद्यालय में अनुशासन का विशेष महत्व होता। इसके लिये मैं अपने जीवन को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करता।

    विद्यार्थियों के लिये पढ़ाई के साथ साथ खेलकूद भी अनिवार्य कर देता जिससे न केवल उनका स्वास्थ्य ठीक रहता, बल्कि इनके मस्तिष्क का भी पूर्ण विकास होता।  विद्यालय में नैतिक शिक्षा, अनिवार्य कर देता, क्योंकि चरित्र ही सबसे उत्तम धन है।

   गरीब विद्यार्थियों की फीस में कटौती करता तथा मेधावी छात्रों के लिये वजीफे का प्रबन्ध करता।  छात्रों तथा अध्यापक वर्ग में अनुशासन तथा स्वच्छता को प्रोत्साहित करने के लिये मैं प्रतिदिन प्रत्येक कक्षा का एक बार निरीक्षण करने जाता।

   मेरे विद्यालय में कर्मचारी वर्ग एवं विद्यार्थीगण से मेरे पारस्परिक स्नेह और सौहार्द के सम्बन्ध होते। मैं पढ़ाई के अतिरिक्त बच्चों में वाद विवाद, नाटक, गायन, कला इत्यादि क्षेत्रों में सर्वांगीण विकास करने के प्रयत्न करता। मेरे विद्यालय में रेडक्रास, स्काउटस, एन.सी.सी. इत्यादि की सभी सुविधायें उपलब्ध होतीं।

काश! मैं प्रधानाचार्य बन पाऊँ।

Explanation:

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harshika23122010: thnx
manveermeena007: welx
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