Anuched lekhan on pustako ki duniya
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पढने को एक आदत और एक संस्कृति के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। पढ़ने का असर टीवी देखने या कंप्यूटर गेम्स खेलने से पूरी तरह अलग होता है। ये एक जैसी चीजें नहीं हैं। पढ़ने से आपके दिमाग की और आपकी परखने की क्षमता की पूरा कसरत हो जाती है। हां, ऑडियो विजुअल माध्यम काफी शिक्षाप्रद हो सकते हैं। अपने आप में ये काफी शक्तिशाली भी होते हैं, लेकिन यह भी सच है कि ज्यादा गूढ़ता और गहराई पढ़ाई में ही होती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाली पीढ़ियों के भीतर पढ़ने की आदत विकसित की जा सकेगी।
पढने को एक आदत और एक संस्कृति के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। पढ़ने का असर टीवी देखने या कंप्यूटर गेम्स खेलने से पूरी तरह अलग होता है। ये एक जैसी चीजें नहीं हैं। पढ़ने से आपके दिमाग की और आपकी परखने की क्षमता की पूरा कसरत हो जाती है। हां, ऑडियो विजुअल माध्यम काफी शिक्षाप्रद हो सकते हैं। अपने आप में ये काफी शक्तिशाली भी होते हैं, लेकिन यह भी सच है कि ज्यादा गूढ़ता और गहराई पढ़ाई में ही होती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाली पीढ़ियों के भीतर पढ़ने की आदत विकसित की जा सकेगी।अगर अधिक से अधिक लोग पढ़ रहे होते, अगर वे बस बैठ जाते और कुछ पढ़ने पर ध्यान केंद्रित करते तो वे ज्यादा शांत और ज्यादा विचारशील होते। इसके अलावा वे जीवन को ज्यादा गहराई के साथ देख पाते। यह एक तरह की साधना है, क्योंकि यह निश्चित रूप से आपके दिमाग के काम करने के तरीके को बेहतर बना देती है। आज के समाज में जब दूसरी तमाम चीजों के मुकाबले इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है, यह बेहद महत्वपूर्ण है कि समाज के तौर पर हम पढ़ने की अपनी संस्कृति को खोने न दें।
पढने को एक आदत और एक संस्कृति के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। पढ़ने का असर टीवी देखने या कंप्यूटर गेम्स खेलने से पूरी तरह अलग होता है। ये एक जैसी चीजें नहीं हैं। पढ़ने से आपके दिमाग की और आपकी परखने की क्षमता की पूरा कसरत हो जाती है। हां, ऑडियो विजुअल माध्यम काफी शिक्षाप्रद हो सकते हैं। अपने आप में ये काफी शक्तिशाली भी होते हैं, लेकिन यह भी सच है कि ज्यादा गूढ़ता और गहराई पढ़ाई में ही होती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाली पीढ़ियों के भीतर पढ़ने की आदत विकसित की जा सकेगी।अगर अधिक से अधिक लोग पढ़ रहे होते, अगर वे बस बैठ जाते और कुछ पढ़ने पर ध्यान केंद्रित करते तो वे ज्यादा शांत और ज्यादा विचारशील होते। इसके अलावा वे जीवन को ज्यादा गहराई के साथ देख पाते। यह एक तरह की साधना है, क्योंकि यह निश्चित रूप से आपके दिमाग के काम करने के तरीके को बेहतर बना देती है। आज के समाज में जब दूसरी तमाम चीजों के मुकाबले इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है, यह बेहद महत्वपूर्ण है कि समाज के तौर पर हम पढ़ने की अपनी संस्कृति को खोने न दें।समस्या यह है कि लोगों ने जीवन को ज्यादा गहराई के साथ देखने की आदत को खो दिया है। जीवन में कोई गहराई बची ही नहीं है। लोग हर चीज को केवल सतही नजरिए से ही देखते हैं और मुझे लगता है कि ऑडियो विजुअल माध्यमों की वजह से इस चलन को बढ़ावा मिल रहा है। मैं इन माध्यमों के खिलाफ नहीं हूं, क्योंकि ये अपने आप में बड़े प्रभावशाली माध्यम हैं, लेकिन ये माध्यम पढ़ने के विकल्प नहीं हो सकते
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