Anuched lekhan Shiksha Mein mobile ka yogdan
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आरंभ में मोबाइल फोन को लैंडलाइन फोन के विकसित विकल्प के तौर पर मुहैया कराया गया था. धीरे-धीरे इसमें कई खासियतें जुड़ती चली गयीं. अब स्मार्टफोन का जमाना है, जिसका बहुआयामी उपयोग पढ़ने-लिखने और सीखने के तौर-तरीके को भी बदल रहा है. किस तरह से स्मार्टफोन इन कार्यो को अंजाम देता है, क्या है एम-लर्निग और 4जी तकनीक तथा सोशल नेटवर्किग कैसे शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव ला रहा है, ऐसे ही बिंदुओं पर नजर डाल रहा है नॉलेज.
नयी दिल्ली: सूचना एवं संचार इस ग्रह की एक ऐसी तकनीक है, जिससे मानव जीवन का कोई भी पहलू अछूता नहीं रह गया है. संचार अगर आज के दौर की जरूरत है, तो निश्चित तौर पर सूचना हर व्यक्ति का अधिकार. दूसरे शब्दों में, सूचना का संचार सामाजिक-आर्थिक विकास का आधार बनता जा रहा है.
दुनियाभर में सूचना एवं संचार यानी दोनों ही तकनीकों का एक सर्वसुलभ और सर्वव्यापक माध्यम है मोबाइल टेक्नोलॉजी. मोबाइल अब केवल बात करने और संदेश भेजने की ही डिवाइस नहीं है, बल्कि लोगों के हाथों में नये रूप में पहुंच रहा स्मार्टफोन डेस्कटॉप का भी स्थान ले चुका है. स्मार्टफोन के जरिये अब वे सारे काम कहीं भी और कभी भी आसानी से निपटाये जा सकते हैं, जिसके लिए घर में डेस्कटॉप के सामने बैठ कर घंटों काम करना होता था. तकनीकी साक्षरता और विकास के साथ कदमताल करने में मोबाइल तकनीकें अहम भूमिका अदा कर रही हैं. इसी कड़ी में अब ‘लर्निग ऑन द मूव’ के सिद्धांत पर आधारित मोबाइल लर्निग (एम-लर्निग) एक प्रभावी शैक्षिक माध्यम बनने की ओर अग्रसर है. आइटीयू (इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन) की एक रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल ब्रॉडबैंड का विस्तार दोहरे अंकों की दर के साथ हो रहा है. एक अनुमान के मुताबिक, इस वर्ष के अंत तक पूरी दुनिया में मोबाइल ब्रॉडबैंड की पहुंच 2.3 अरब के आंकड़े को पार कर चुकी होगी. टेलीकम्युनिकेशन के विशेषज्ञों का मानना है कि विकासशील देशों में 55 प्रतिशत से अधिक मोबाइल ब्रॉडबैंड की पहुंच आर्थिक और सामाजिक विकास की गाथा लिखने में सक्षम है.
शिक्षा, विज्ञान और 4जी तकनीक
आज के दौर में इंटरनेट के बिना उच्च शिक्षा के बारे में सोचना भी मुश्किल है. पिछले पांच वर्षो में 45 प्रतिशत तक की वार्षिक दर से मोबाइल ब्रॉडबैंड से लोग जुड़े हैं. इसी से फिक्स्ड ब्रॉडबैंड की तुलना में मोबाइल ब्रॉडबैंड सब्स्क्रिप्शन दोगुने से भी ज्यादा हो गया है. बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि लैंडलाइन फोन को सैचुरेशन प्वाइंट (वह बिंदु, जहां मांग की संभावना नगण्य हो) पर पहुंचने में एक शताब्दी लग गयी, वहीं मोबाइल फोन ने इस सफर को 20 वर्षो से भी कम समय में पूरा कर लिया और स्मार्टफोन तो शुरुआत में ही लगभग आधे सफर को तय कर चुका है.
अब दुनिया 4जी टेक्नोलॉजी को अपना रही है. यह अल्ट्रा ब्रॉडबैंड इंटरनेट एक्सेस आधारित तकनीक है, जो थर्ड जेनरेशन (3जी) टेक्नोलॉजी का परिवर्धित रूप है. 4जी का एलटीइ (लॉन्ग टर्म एवोल्यूशन) नेटवर्क डाटा को बहुत तेजी से ट्रांसफर करने में सक्षम है. ‘स्क्राइब्ड डॉट कॉम’ की रिपोर्ट के अनुसार, 4जी का एलटीइ नेटवर्क 100 एमबीपीएस की स्पीड तक डाउनलिंक करने और 50 एमबीपीएस की स्पीड तक अपलिंक करने में सक्षम है.
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