Hindi, asked by girishm4263, 11 months ago

anuched on bhartiya sanskriti ( short and simple )

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Answered by manshulrathodiya
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भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति है। इससे विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी माना जाता है। जीने की कला हो या विज्ञान और राजनीति का क्षेत्र, भारतीय संस्कृति का सदैव विशेष स्थान रहा है। अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा के साथ-साथ नष्ट होती रही हैं किन्तु भारत की संस्कृति आदि काल से ही अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है।

आज के समय में सभ्यता और संस्कृति को एक-दूसरे का पर्याय समझा जाने लगा है जिसके फलस्वरूप संस्कृति के संदर्भ में अनेक भ्रांतियाँ पैदा हो गई हैं। लेकिन वास्तव में संस्कृति और सभ्यता अलग-अलग होती हैं। सभ्यता का संबंध हमारे बाहरी जीवन के ढंग से होता है यथा – खान-पान, रहन-सहन, बोलचाल जबकि संस्कृति का संबंध हमारी सोच, चिंतन, और विचारधारा से होता है।

संस्कृति का क्षेत्र सभ्यता से कहीं व्यापक और गहन होता है। सभ्यता का अनुकरण तो किया जा सकता है लेकिन संस्कृति का अनुकरण नहीं किया जा सकता है। हम पेंट-कोट पहनकर और अंग्रेजी बोलकर पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण करते हैं न कि पाश्चात्य संस्कृति का।

संस्कृति शब्द का अर्थ : संस्कृति किसी भी देश, जाति और समुदाय की आत्मा होती है। संस्कृति से ही देश, जाति या समुदाय के उन समस्त संस्कारों का बोध होता है जिनके सहारे वह अपने आदर्शों, जीवन मूल्यों आदि का निर्धारण करता है। संस्कृति का साधारण अर्थ होता है – संस्कार, सुधार, परिष्कार, शुद्धि, सजावट आदि।

भारतीय प्राचीन ग्रंथों में संस्कृति का अर्थ संस्कार से ही माना गया है। कौटिल्य जी ने विनय के अर्थ में संस्कृति शब्द का प्रयोग किया गया है। भारतीय प्राचीन ग्रंथों में भी अंग्रेजी शब्द कल्चर के समान संस्कृति शब्द का प्रयोग होने लगा है। संस्कृति का अर्थ हम भले ही कुछ निकाल लें किन्तु संस्कृति का संबंध मानव जीवन मूल्यों से है।

भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है। विश्व की विभिन्न संस्कृतियाँ भारतीय संस्कृति के समक्ष पैदा हुई और मिट गईं। भारतीय संस्कृति में महान समायोजन की क्षमता होती है। यहाँ पर विभिन्न संस्कृतियों के लोग आए और यहीं पर बस गए। उनकी संस्कृतियाँ भारतीय संस्कृति का अंग बन गईं। इसी वजह से भारतीय संस्कृति लगातार आगे बढती जा रही है।

भारतीय संस्कृति की पृष्ठभूमि में मानव कल्याण की भावना नीहित है। यहाँ पर जो भी काम होते हैं वो बहुजन हिताय और बहुजन सुखाय की दृष्टि से ही होते हैं। यही संस्कृति भारतवर्ष की आदर्श संस्कृति होती है। भारत की संस्कृति की मूल भावना ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के पवित्र उद्देश्य पर आधारित है अथार्त सभी सुखी हों, सब निरोग हो, सबका कल्याण हो, किसी को भी दुःख प्राप्त न हो ऐसी पवित्र भावनाएं भारतवर्ष में सदैव प्राप्त होती रहें।

Answered by balajitraderssemari7
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bhartiya sanskriti ek aisi kriti hai jo itihaas mein jaani jaati hai is is sanskriti ke ... के विषय में अनुच्छेद लिखिए।.

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Answer:भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे ... More

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