Anuched on man ke hare har hai man ke jite jeet
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मन के हारे हार है, मन के जीते जीत
Man Ke Hare Haar Hai, Man ke Jite Jeet
मनुष्य का जीवन विविध प्रकार के संकल्पों और विकल्पों से क्रियाशील होता ! रहता है। कुछ मानव के जीवन में कभी सफलता आती है, तो कभी असफलता। हम देखते हैं कि कछ ऐसे मनुष्य हैं जिन्हें जीवन में निरन्तर सफलता ही चूमती है। ऐसे भी मनुष्य होते हैं, जिन्हें बार-बार असफलता और पराजय के ही मुंह देखने पड़ते हैं। जिन्हें सफलताओं का हार पहनने को मिलता है, वे सामान्य व्यक्ति नहीं होते हैं। वे आलसी और बुजदिल नहीं होते हैं, अपित वे बहुत ही अधिक साहसी और दिलेर होते हैं। जिन्हें अपार मनोबल प्राप्त होता है और जो बाधाओं पर छा। जाने होते हैं, वे ही विजयी और भाग्य-विधाता होते हैं।
हमारी जीवन प्रक्रिया का संचालक केवल मन और आत्मा है। मन कभी आत्मा को वश में कर लेता है तो कभी आत्मा मन को, इस प्रकार मन और आत्मा पर। परस्पर सम्बन्ध बहत गहरा और घनिष्ठ सम्बन्ध है। मन और आत्मा के सहयोग से मनष्य अपने उद्देश्य की प्राप्ति करने में सफल हो जाता है। जो भी व्यक्ति मन लगाकर किसी भी असंभव कार्य को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील होने लगता है तो वह निश्चित रूप से उसे संभव कर ही लेता है। इस प्रसंग में महाकवि रहीमदास का यह कथन उद्धृत किया जा सकता है–
रहिमन मनहिं लगाइके, देखि लेहुँ किन कोय।
नर को वस कर वो कहाँ, नारायण वश होय।।
मन का योग ही सब प्रकार की शक्तियों को योग केन्द्र होता है। मन ही मनुष्य की उन्नति और बंधन का कारण है–
‘मन एच मनुष्याणां कारणं बन्धन मोक्षयोः।’
हम यह भली-भांति जानते हैं कि संघर्ष ही जीवन है। बिना संघर्ष के किसी प्रकार की सफलता की आशा नहीं की जा सकती है। वीर पुरुष हमेशा संघर्षरत जीवन जीते हैं। संघर्ष की बुनियाद पर ही नेपोलियन ने अदम्य उत्साह से कहा था कि असफलता शब्द मेरे शब्दकोश में नहीं है। संघर्ष ही कर्म है और कर्म ही जीवन। किसी प्रकार का संघर्ष या कर्म हो। उसमें मनोयोग होन नितान्त आवश्यक है। मन के योग से किसी प्रकार की कार्यसिद्धि होती है। बिना मनोयोग के सभी प्रकार की अटक-भटक शुरू हो जाती है। इसीलिए पंजाब केसरी लाला लाजपत राय ने साहसपूर्ण कथन प्रस्तुत करते हुए कहा था–
सकल भूमि गोपाल की, तामें अटक कहाँ ?
जाके मन में अटक है, सोई अटक रहा।।
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