Hindi, asked by devansh9784, 1 year ago

anuched on Vigyan aur Swasthya​

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Answered by anishakumari87
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स्वास्थ्यविज्ञान (Hygiene) का ध्येय है कि प्रत्येक मनुष्य की शारीरिक वृद्धि और विकास और भी अधिक पूर्ण हो, जीवन और भी अधिक तेजपूर्ण हो, शारीरिक ह्रास और भी अधिक धीमा हो और मृत्यु और भी अधिक देर से हो। वास्तव में स्वास्थ्य का अर्थ केवल रोगरहित और दु:खरहित जीवन नहीं है। केवल जीवित रहना ही स्वास्थ्य नहीं है। यह तो पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक हृष्टता पुष्टता की दशा है। अधिकतम सुखमय जीवन और अधिकतम मानवसेवा का अवसर पूर्ण स्वस्थता से ही संभव हैं।

परिचय

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स्वास्थ्य से सभी परिचित हैं किंतु पूर्ण स्वास्थ्य का स्तर निश्चित करना कठिन है। प्रत्येक स्वस्थ मनुष्य अपने प्रयास से और भी अधिक स्वस्थ हो सकता है। व्यक्ति के स्वास्थ्य सुधार से समाज और राष्ट्र का स्वास्थ्य स्तर ऊँचा होता है।

अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्योपार्जन का भार प्रत्येक प्राणी पर ही है। जिस प्रकार धन, विद्या, यश आदि द्वारा जीवन की सफलता अपने ही प्रयास से प्राप्त होती है उसी प्रकार स्वास्थ्य के लिए प्रत्येक को प्रयत्नशील होना आवश्यक है। अनायास या दैवयोग से स्वास्थ्य प्राप्ति नहीं होती परंतु प्राकृतिक स्वास्थ्यप्रद नियमों का निरंतर पालन करने से ही स्वास्थ्य प्राप्ति और उसका संरक्षण संभव है।

स्वास्थ्य के संवर्धन, संरक्षण तथा पुन:स्थापन का ज्ञान स्वास्थ्यविज्ञान द्वारा होता है। यह कार्य केवल डाक्टरों द्वारा ही संपन्न नहीं हो सकता। यह तो जनता तथा उसके नेताओं के सहयोग से ही संभव है। स्वास्थ्यवेत्ता सेनानायक की भाँति अस्वास्थ्यता से युद्ध करने हेतु संचालन और निर्देशन करता है किंतु युद्ध तो समस्त जनता को सैनिक की भाँति लड़ना पड़ता है।

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