Anupras Alankar ke 10 aasan udaharan
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अनुप्रास अलंकार की परिभाषा :- जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है। किसी विशेष वर्ण की आवृति से वाक्य सुनने में सुंदर लगता है।
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण :-
मुदित महापति मंदिर आए
दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘म’ वर्ण की आवृति हो रही है। यह आवृति वाक्य का सौंदर्य बढ़ा रही है। अतः यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
मधुर मधुर मुस्कान मनोहर , मनुज वेश का उजियाला।
‘म’ वर्ण की आवृति हो रही है, और जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।
कल कानन कुंडल मोरपखा उर पा बनमाल बिराजती है।
शुरू के तीन शब्दों में ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही हैऔर जब किसी वर्ण की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।
कालिंदी कूल कदम्ब की डरनी।
‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है, और जब किसी वर्ण की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।
कायर क्रूर कपूत कुचली यूँ ही मर जाते हैं।
‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है, एक से अधिक बार जब किसी वर्ण की आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।
तरनी तनुजा तात तमाल तरुवर बहु छाए।
ऊपर दिए गए उदाहरण में ‘त’ वर्ण की आवृति हो रही है, जब किसी वर्ण की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।
चारु चन्द्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल-थल में।
‘च’ वर्ण की आवृति हो रही है जब किसी वर्ण की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।
बल बिलोकी बहुत मेज बचा।
‘ब’ वर्ण की आवृति हो रही है, जब किसी वर्ण की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।