anushasan ka mahatva- anuchwed in hindi(-150) words
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अनुशासन कुछ ऐसा है जो सभी को अच्छे से नियंत्रित किये रखता है। ये व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करता है और सफल बनाता है। हम में से हर एक ने अपने जीवन में समझदारी और जरुरत के अनुसार अनुशासन का अलग-अलग अनुभव किया है। जीवन में सही रास्ते पर चलने के लिये हर एक व्यक्ति में अनुशासन की बहुत जरुरत पड़ती है। अनुशासन के बिना जीवन बिल्कुल निष्क्रिय और निर्थक हो जाता है क्योंकि कुछ भी योजना अनुसार नहीं होता है। अगर हमें किसी भी प्रोजेक्ट को पूरा करने के बारे में अपनी योजना को लागू करना है तो सबसे पहले हमें अनुशासन में होना पड़ेगा। अनुशासन दो प्रकार का होता है एक वो जो हमें बाहरी समाज से मिलता है और दूसरा वो जो हमारे अंदर खुद से उत्पन्न होता है। हालाँकि कई बार, हमें किसी प्रभावशाली व्यक्ति से अपने स्व-अनुशासन आदतों में सुधार करने के लिये प्रेरणा की जरुरत होती है।
हमारे जीवन के कई पड़ावों पर बहुत से रास्तों पर हमें अनुशासन की जरुरत पड़ती है इसलिये बचपन से ही अनुशासन का अभ्यास करना अच्छा होता है। स्व-अनुशासन का सभी व्यक्तियों के लिये अलग-अलग अर्थ होता है जैसे विद्यार्थियों के लिये इसका मतलब है सही समय पर एकाग्रता के साथ पढ़ना और दिये गये कार्य को पूरा करना। हालाँकि काम करने वाले इंसान के लिये सुबह जल्दी उठना, व्यायाम करना, समय पर कार्यालय जाना और ऑफिस के कार्य को ठीक ढंग से करना। हर एक में स्व-अनुशासन की बहुत जरुरत है क्योंकि आज के आधुनिक समय में किसी को भी दूसरों को अनुशासन के लिये प्रेरित करने का समय नहीं है। बिना अनुशासन के कोई भी अपने जीवन में असफल हो सकता है, अनुशासन के बिना कोई भी इंसान कभी भी अपने अकादमिक जीवन या दूसरे कार्यों की खुशी नहीं मना सकता।
स्व-अनुशासन की जरुरत हर क्षेत्र में होती है जैसे संतुलित भोजन करना (मोटापे और बेकार खाने को नियंत्रित करना), नियमित व्यायाम (इसके लिये एकाग्रता की जरुरत है) आदि। गड़बड़ और अनियंत्रित खाने-पीने से किसी को भी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं इसलिये स्वस्थ रहने के लिये अनुशासन की जरुरत है। अभिवावक को स्व-अनुशासन को विकसित करने की जरुरत है क्योंकि उसी से वो अपने बच्चों को एक अच्छा अनुशासन सिखा सकते हैं। उन्हें हर समय अपने बच्चों को प्रेरित करते रहने की जुरुरत पड़ती है जिससे वो दूसरों से अच्छा व्यवहार करें और हर कार्य को सही समय पर करें। कुछ शैतान बच्चे अपने माता-पिता के अनुशासन को नहीं मानते हैं, ऐसे वक्त में अभिभावकों को हिम्मत और धैर्य के साथ अपने बदमाश बच्चों को सिखाना चाहिये। प्रकृति के अनुसार अनुशासन को ग्रहण करने की सभी व्यक्ति का अलग समय और क्षमता होती है । इसलिये, कभी हार मत मानो और लगातार प्रयास करते रहो अनुशासन में होने को, छोटे-छोटे कदमों से ही बड़ी मंजिलें हासिल की जा सकती हैं।
हमारे जीवन के कई पड़ावों पर बहुत से रास्तों पर हमें अनुशासन की जरुरत पड़ती है इसलिये बचपन से ही अनुशासन का अभ्यास करना अच्छा होता है। स्व-अनुशासन का सभी व्यक्तियों के लिये अलग-अलग अर्थ होता है जैसे विद्यार्थियों के लिये इसका मतलब है सही समय पर एकाग्रता के साथ पढ़ना और दिये गये कार्य को पूरा करना। हालाँकि काम करने वाले इंसान के लिये सुबह जल्दी उठना, व्यायाम करना, समय पर कार्यालय जाना और ऑफिस के कार्य को ठीक ढंग से करना। हर एक में स्व-अनुशासन की बहुत जरुरत है क्योंकि आज के आधुनिक समय में किसी को भी दूसरों को अनुशासन के लिये प्रेरित करने का समय नहीं है। बिना अनुशासन के कोई भी अपने जीवन में असफल हो सकता है, अनुशासन के बिना कोई भी इंसान कभी भी अपने अकादमिक जीवन या दूसरे कार्यों की खुशी नहीं मना सकता।
स्व-अनुशासन की जरुरत हर क्षेत्र में होती है जैसे संतुलित भोजन करना (मोटापे और बेकार खाने को नियंत्रित करना), नियमित व्यायाम (इसके लिये एकाग्रता की जरुरत है) आदि। गड़बड़ और अनियंत्रित खाने-पीने से किसी को भी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं इसलिये स्वस्थ रहने के लिये अनुशासन की जरुरत है। अभिवावक को स्व-अनुशासन को विकसित करने की जरुरत है क्योंकि उसी से वो अपने बच्चों को एक अच्छा अनुशासन सिखा सकते हैं। उन्हें हर समय अपने बच्चों को प्रेरित करते रहने की जुरुरत पड़ती है जिससे वो दूसरों से अच्छा व्यवहार करें और हर कार्य को सही समय पर करें। कुछ शैतान बच्चे अपने माता-पिता के अनुशासन को नहीं मानते हैं, ऐसे वक्त में अभिभावकों को हिम्मत और धैर्य के साथ अपने बदमाश बच्चों को सिखाना चाहिये। प्रकृति के अनुसार अनुशासन को ग्रहण करने की सभी व्यक्ति का अलग समय और क्षमता होती है । इसलिये, कभी हार मत मानो और लगातार प्रयास करते रहो अनुशासन में होने को, छोटे-छोटे कदमों से ही बड़ी मंजिलें हासिल की जा सकती हैं।
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अनुशासन का महत्व विद्यार्थी शब्द दो शब्दों के योग से बना है विद्या प्लस अर्थी अर्थात विद्या को चाहने वाला विद्यार्थी शब्द की तरह ही अनुशासन भी दो शब्द से बना है अनु प्लस शासन अनुशासन का अभिप्राय है व्यवस्था और अनुसरण करना व्यवस्था जीवन का अंग होता है विद्यार्थी जीवन ही वह काल है जिसमें शिशु के चरित्र व्यवहार व आचरण को जैसा रूप देना चाहें दे सकते हैं यह अवस्था भाभी वृक्ष की उस कोमल शाखा की भांति है जिसे जिधर चाहे उधर मोड़ा जा सकता है इसके विपरीत पूर्णतया विकसित वृक्ष की शाखाएं मोड़ने पर टूट सकती हैं परंतु मूड नहीं सकती अनुशासन समाज के नियमों का दूसरा नाम है यद्यपि अनुशासन की आवश्यकता जीवन के हर क्षेत्र में है तथापि विद्यार्थियों के लिए एक आवश्यक है क्योंकि विद्यार्थी जीवन भावी जीवन की आधारशिला है
Akash1525:
so short
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