Any1 explain the summary for the chapter' teesri kasam ke shilpkar shailendra'
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इस पाठ में लेखक ने गीतकार शैलेन्द्र और उनकी बनायी हुई पहली और आखिरी फिल्म तीसरी कसम के बारे में बताया है। सन 1966 में राजकपूर द्वारा अभिनीत, कवि शैलेन्द्र की तीसरी कसम फिल्म प्रदर्शित करी गयी। यह फिल्म नहीं बल्कि सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी। इसमें हिंदी साहित्य की अत्यंत मार्मिक कथा कृति को सैल्यूलाइड पर उतरा गया था।
इस फिल्म को अनेक पुरस्कार मिले, जैसे 'राष्ट्रपति स्वर्णपदक', बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फिल्म, मॉस्को फिल्म फेस्टिवल आदि में पुरस्कार मिला।
शैलेन्द्र ने इसमें अपनी संवेदनशीलता को अच्छी तरह दिखाया था। राजकपूर ने भी अच्छा अभिनय किया था। वहीदा रहमान इसकी नायिका थी। राजकपूर ने इस फिल्म के लिए शैलेन्द्र से सिर्फ एक रुपया लिया और फिल्म के असफल होने की संभावना के बारे में बताया था। परन्तु शैलेन्द्र को धन से अधिक अपनी आत्मसंतुष्टि अधिक प्रिय थी।
फिल्म में जयकिशन का संगीत था और उसके गाने पहले ही लोकप्रिय हो चुके थे। परन्तु फिल्म को खरीदने वाला कोई न था। फिल्म की संवेदना आसानी से समझ में आने वाली नहीं थी। इसलिए फिल्म का प्रचार कम हुआ और वह कब आई और गयी पता नहीं चला।
शैलेन्द्र ने झूठे अभिजात्य को कभी नहीं अपनाया। 'श्री 420' के एक लोकप्रिय गाने में 'दसों दिशायें कहेंगी अपनी कहानियाँ' को संगीतकार जयकिशन के कहने पर नहीं बदला क्योंकि वे दर्शकों की रूचि के आड़ में उनपर उथलेपन को नहीं थोपना चाहते थे।
Answer:
is paath Mein lekhak Ne geetkar Shailendra aur Unki Banai Hui Pehli aur Aakhri film Teesri Kasam ke bare mein bataya Hai Jhuthe Sabhi jaatiyon Ko Kabhi Nahin apnaya Shree 420 ke Ek lokpriya gane Mein dason dishaen kahegi Apni kahaniyan ko sangeetkar Jaikishan ke Kahane per Nahin Badla Kyunki vah darshakon ki Ruchi Ke Aad mein un per putle Ko Nahin Todna Chahte the