अपूर्ण कहानी पूर्ण कीजिए।
आपका जहाज़ तूफान में फंस जाता है और हवा के वेग से बहता-बहता एक अनजान द्वीप पर पहुँच जाता है।
वह द्वीप सुनसान और प्राणी रहित लगता है परंतु जैसे-जैसे रात बढ़ती है आप सब स्वयं को अनजान लोगों से धीरा
हुआ पाते हैं। फिर क्या हुआ होगा ?
Answers
Explanation:
वे लोग अदृश्य थे lजैसे-जैसे रात का अंधेरा बढ़ता गया वैसे-वैसे वे लोग हमें दिखाई पड़ने लगे l हम ऐसे लोगों को देखकर डर से गए lहमने अपने जीवन में पहली बार ऐसे लोगों का सामना किया था lहमें अजीब अजीब सी आवाजें आने लगी और एक पल तो ऐसा आया कि हम सच कभी चकरा कर जमीन पर गिर पड़े lथोड़ी देर के पश्चात जब मैं उठी तो मैंने देखा कि वहां बड़े-बड़े कदमों के निशान थे lपर अब वह लोग अदृश्य हो चुके थे क्योंकि वहां सूरज की किरणें आ चुकी थी lबाद में मैंने अपने सभी दोस्तों को उठाया lफिर हम अपना रास्ता ढूंढने के लिए निकल पड़े पर रात हो गई हमें हमारा कोई रास्ता ना मिला lहम बहुत निराश हैं लेकिन फिर रात होते ही अदृश्य लोग हमें दिखने लगे हमने सोचा अब हमें सामना तो करना ही है इसलिए हमने उस अदृश्य लोगों से पूछा कि आप ऐसे क्यों हो अदृश्य हो जाते हो इस पर उड़ना दृश्य लोगों ने हमें जवाब दिया कि हमें श्राप मिला हुआ है जब तक उस कमरे में रखी इस बुक में से कोई सच्चा इंसान वह श्लोक ना पढ़ ले तब तक हमें हमारे इस श्राप से मुक्ति नहीं मिलेगी lफिर उन्होंने हमसे कहा कि हम जाए और वह श्लोक पढ़े lजैसे ही हम आगे बढ़ते रहे वह महल भी हमारे को दिखने लगा वहां पुस्तक थी जब हम वहां पहुंचे तो हमने देखा कि चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ था और जहां पुस्तक रखी थी वहां बहुत ही रोशनी आ रही थी जैसे ही मैंने उस पुस्तक के पेज पलटे और उन्हें मुक्त करने वाला श्लोक ढूंढने की कोशिश की वैसे ही वह पुस्तक ने मुझे धक्का दे दिया जैसे मानो तो 5 साया हो और मुझे पीछे को धकेल दिया हूं पर मैंने हार नहीं मानी मैंने भी खड़े होकर फिर से पुस्तक के पेज पलटने शुरू कर दिए lआखिर मैंने वह श्लोक ढूंढ ही लिया जिससे मैं उन्हें मुक्त कर सकती थी lमैंने वह श्लोक पढ़ना शुरू किया मेरे श्लोक पढ़ते ही वहां बर्फ की बारिश होने लगी हम पूरी तरह पर से गिर चुके थे ऐसा लग रहा था जैसे हम उस बस में धन से जा रहे हैं फिर भी मैं श्लोक बढ़ती गई और जैसे ही मेरा श्लोक समाप्त हुआ वैसे ही वहां से बर्फ और वह महल वह पुस्तक सब गायब हो गए और हम फिर से जमीन पर आ चुके थे वहां पर अब वह जो अदृश्य लोग थे वह भी उस शाप से मुक्त हो चुके थे अंत में वे सभी मनुष्य हमारा धन्यवाद करने लगे और उन्होंने हमें हमारा जहाज नया सा करके दिया फिर हम अपनी सैर पर निकल पड़े l