अप्राप्त एवं संदिग्ध ऋणों में अन्तर बताइए उनके लेखीय व्यवहार को सोदाहरण समझाइए।
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Answer:
कम्पनी अधिनियम के अनुसार प्रत्येक कम्पनी के लिए अपने चिट्ठे में देनदारों को स्पष्टतया अलग-अलग शीर्षकों में लिखना आवश्यक होता है।
(क) वे ऋण जो प्राप्य (good) समझे जाते हैं, जिनके लिए कम्पनी के पास पूरी जमानत है।
(ख) वे ऋण जो प्राप्य (good) समझे जाते हैं, पर जिनके लिए कम्पनी के पास देनदारों की निजी जमानत के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।
(ग) वे ऋण जो संदिग्ध या अप्राप्य (doubtful or bad) समझे जाते हैं।
यह राय बनाने के लिए ऋण प्राप्य, संदिग्ध या अप्राप्य है, निम्न बातें ध्यान में रखनी चाहिए ।
1 ऋण की अवधि कम्पनी की ऋण की शर्तों के सन्दर्भ में ऋण की अवधि को देखना चाहिए। उधार की शर्तों के अनरूप नियमित रूप से ऋणों का भुगतान यह स्पष्ट करता है कि ऋण प्राप्य है।
2. नियमित भुगतान यदि भुगतान नियमित है तो खाते प्राप्य हैं। यदि नहीं, तो ये संदिग्ध समझे जाने चाहिए।
भाकित बिल बड़ी मात्रा में तिरस्कृत बिल सदैव कमजोरी की निशानी बनते हैं। उसी प्रकार वापस चैक तथा नवीनीकृत बिल यह स्पष्ट करते हैं कि ऋण संदिग्ध हैं।
खातों पर टिप्पणियां (Noting on the Accounts) खातों पर विभिन्न प्रकार की दी हुई टिप्पणियां यह स्पष्ट करती हैं कि खाते संदिग्ध हैं।
5. बजट किये गये व वास्तविक डबत ऋणों की तलना बहत से
अप्राप्त एवं संदिग्ध ऋण:
लाभ हानि खाते में इसे इस प्रकार से दिखाया जायेगा । कुल राशि से अधिक है तो आधिक्य राशि को लाभ हानि खाता के जमा में दिखाया जायेगा । अप्राप्य एवं संदिग्ध ऋण की प्रावधान राशि देयता की मद होती है लेकिन मान्य पद्धति है कि इसे स्थिति विवरण की परिसम्पत्तियों की ओर पुस्तक ऋण / देनदार में से घटा कर दिखाया जाता है.
अप्राप्त एवं संदिग्ध ऋणों में अन्तर बताइए उनके लेखीय व्यवहार को सोदाहरण समझाइए।
कम्पनी अधिनियम के अनुसार प्रत्येक कम्पनी के लिए अपने चिट्ठे में देनदारों को स्पष्टतया अलग-अलग शीर्षकों में लिखना आवश्यक होता है।
(क) वे ऋण जो प्राप्य (good) समझे जाते हैं, जिनके लिए कम्पनी के पास पूरी जमानत है।
(ख) वे ऋण जो प्राप्य (good) समझे जाते हैं, पर जिनके लिए कम्पनी के पास देनदारों की निजी जमानत के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।
(ग) वे ऋण जो संदिग्ध या अप्राप्य (doubtful or bad) समझे जाते हैं।
यह राय बनाने के लिए ऋण प्राप्य, संदिग्ध या अप्राप्य है, निम्न बातें ध्यान में रखनी चाहिए ।
1 ऋण की अवधि कम्पनी की ऋण की शर्तों के सन्दर्भ में ऋण की अवधि को देखना चाहिए। उधार की शर्तों के अनरूप नियमित रूप से ऋणों का भुगतान यह स्पष्ट करता है कि ऋण प्राप्य है।
2. नियमित भुगतान यदि भुगतान नियमित है तो खाते प्राप्य हैं। यदि नहीं, तो ये संदिग्ध समझे जाने चाहिए।
भाकित बिल बड़ी मात्रा में तिरस्कृत बिल सदैव कमजोरी की निशानी बनते हैं। उसी प्रकार वापस चैक तथा नवीनीकृत बिल यह स्पष्ट करते हैं कि ऋण संदिग्ध हैं।
खातों पर टिप्पणियां (Noting on the Accounts) खातों पर विभिन्न प्रकार की दी हुई टिप्पणियां यह स्पष्ट करती हैं कि खाते संदिग्ध हैं।
5. बजट किये गये व वास्तविक डबत ऋणों की तलना बहत से