Hindi, asked by patidarabhishek787, 1 day ago

घनानंद के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए

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Answered by shishir303
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‘घनानंद’ रीतिकाल काव्य धारा के प्रसिद्ध कवि रहे हैं। उनका काल समय 1673 से 1760 के के बीच का माना जाता है। ‘घनानंद’ रीतिकाल की तीनों प्रमुख काव्य धाराओं रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त के अग्रणी कवि माने जाते हैं। वह मुगल बादशाह मोहम्मद शाह के पीर मुंशी यानि खास कलम थे, जिसे आज की भाषा में निजी सेक्रेटरी कहा जाता है।

घनानंद को साहित्य और संगीत दोनों में महारत हासिल थी। वह प्रेम की मस्ती और संयोग एवं वियोग श्रृंगार के कवि रहे हैं। अपने जीवन काल में वह किसी ‘सुजान’ नाम की नृतकी या वेश्या के प्रति प्रेम में पड़ गये थे, इस कारण उन्होंने सुजान सागर, सुजानहित जैसे ग्रंथों की रचना भी की।

घनानंद को प्रेम की पीर का कवि इसलिए माना जाता है क्योंकि उनकी कविताओं में प्रेम की उत्कंठा बेहद तीव्रता से मिलती है। उनकी रचनाओं में प्रेम के संयोग पक्ष और वियोग पक्ष दोनों तरह के पक्षों के बारे में वर्णन मिलता है। प्रेम में मिलन हो या विरह की पीड़ा ये उनकी कविताओं में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होती है। प्रेम की उत्कंठा को उन्होंने बेहद मार्मिकता से पेश किया है, इसीलिए उन्हें प्रेम की पीर का कवि माना जाता है।

उनकी प्रसिद्ध रचनाओं के नाम हैं...

• सुजान सागर

• सुजानहित

• कृपाकंद निबंध

• वियोग वेलि

• इश्कलता

• प्रीति पावस

• प्रेम पत्रिका

• प्रेम सरोवर

• राजविलास

• प्रेम पद्धति

• गोकुल गीत

• विचार सार

• नाम माधुरी

• गिरि पूजन

• दानघटा

• कृष्ण कौमुदी

• भावना प्रकाश

• यमुना यज्ञ

• अनुभव चंद्रिका

• रंग बधाई

• रसकेली वल्ली

• विरहलीला

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