अपूर्वः कोऽपि कोशोऽयं विद्यते तव भारति।
व्ययतो वृद्धिमायाति क्षयमायाति सञ्चयात्॥1॥ meaning
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अपूर्वः कोऽपि कोशोऽयं विद्यते तव भारति।
व्ययतो वृद्धिमायाति क्षयमायाति सञ्चयात्॥1॥
अर्थ : हे भारती (सरस्वती) आपके कोष अद्वितीय है ! जब कोई उसकी व्यय करता है तो वह वृद्धिंगत होता है और कोई संचय करता है तो उसका क्षय होता है ।
भावार्थ : देवी सरस्वतीका धन विद्या है जब कोई इसका प्रसार बिना कर्तापनके करता है तो उसका आंतरिक ज्ञान का चक्षु भी खुल जाता है और ज्ञान की वृद्धि होती है और जब कोई इसे अहंकार वश अपने तक सीमित रखता है तो ही उसके व्यक्ति के क्षय का कारण बन जाता है।
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Answer:
the meaning is Oh! Saraswati your treasure(knowledge)is unique.
It increases when spent and decreases when is stored
Explanation:
the meaning is Oh! Saraswati your treasure(knowledge)is unique.
It increases when spent and decreases when is stored
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