अप्रगामी तरंगों की चार विशेषताएं
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अप्रगामी तरंग
यह तरंगे माध्यम में एक निश्चित वेग से आगे बढ़ती है। यह तरंगे माध्यम में आगे नहीं बढ़ती हैं। बल्कि माध्यम में दो परसीमाओं के बीच अपने स्थानों पर ही बनी रहती हैं। अर्थात अपने ही स्थान पर स्थिर रहकर फैलती सिकुड़ती रहती हैं
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