अप्रत्यक्ष व्यापार के गुण और दोष बताइए
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अप्रत्यक्ष कर (Apratyaksh Kar) यानी ऐसा टैक्स जो अप्रत्यक्ष रूप से सरकार तक पहुँचती है, इस तरह के कर / टैक्स, प्रत्यक्ष कर के बिल्कुल विपरीत होते है। राज्य के द्वारा खपत, आयात, निर्यात और उत्पादन इत्यादि पर जो कर लगाया जाता है वह अप्रत्यक्ष कर होता है। अप्रत्यक्ष कर को सीधे अर्जक की आय या संपत्ति पर नहीं लगाया जाता न ही इनको किसी भी पर्ची पर दिखाया जाता है। उत्पादों की कीमत को बढ़ाने के लिए अप्रत्यक्ष कर में वृद्धि की जा सकती है, अप्रत्यक्ष कर एक स्थान्तरित कर है।
अप्रत्यक्ष कर (Apratyaksh Kar) के प्रकार
बिक्री कर (Sales Tax)
सर्विस टैक्स (Service Tax)
उत्पाद कर (Excise Duty)
प्रोफेशनल टैक्स ( Professional Tax)
लाभांश वितरण कर (Dividend distribution Tax)
मनोरंजन कर (Entertainment Tax)
संपत्ति कर (property Tax)
स्टाम्प ड्यूटी/ कर (Stamp Duty)
वैट कर (VAT)
टोल कर (toll Tax)
यह भी पढ़ें : टैक्स के प्रकार
अप्रत्यक्ष कर (Apratyaksh Kar) के तहत वस्तुओं को बेचने पर लगने वाले टैक्स को बिक्री कर (Sales Tax) कहते हैं, जिसका सीधा बोझ ग्राहक पर पड़ता है। जब निर्माता व्यापारियों पे कर का बोझ डालता है, तब उसके बाद थोक व्यापारी, दुकानदार या विक्रेता सामान पर बिक्री कर का चार्ज कर के बोझ को ग्राहकों को स्थानांतरित कर देता है।
सभी सेवाओं पर लगने वाले टैक्स को सर्विस टैक्स (Service Tax) कहते हैं। अभी भारत में आपको हर सेवा पर १५ फीसदी सर्विस टैक्स (Service Tax) देना पड़ता है। यह टैक्स छोटे कारोबारिओं अर्थार्त जिनका व्यवसाय १०लाख सेकम मूल्य का हो, पे नहीं लगायी जाती।
देश में बनने वाले उत्पादों पर लगने वाले कर को उत्पाद कर (Excise Duty) कहते हैं। यह कर निर्माता के द्वारा दिया जाता है। उस कर के बोझ को निर्माता बाद में थोक व्यापारी के कंधो पे डाल देता है। यह कर केंद्रीय सरकार द्वारा लगाया जाता है।
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