अपक्षय में जीवजन्तु की भूमिका उदाहरण सहित व्याख्या करो
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पौधों तथा प्राणियों द्वारा होने वाला भूक्षरण या अपक्षय। पौधों द्वारा यांत्रिक तथा रासायनिक दोनों रूपों में अपक्षय होता है। यांत्रिक अपक्षय भूमि में पौधों की जड़ों के प्रवेश तथा उनके फैलने से शैलों में उत्पन्न तनाव के कारण शैल विघटन के रूप में होता है। पौधों से उत्पन्न जैव एसिड तथा ह्यूमी एसिड द्वारा रासायनिक अपक्षय होता है। पृथ्वी की ऊपरी सतह में मिट्टी में रहने वाले अनेक जीव-जंतु शैलों को कमजोर करने, उनके विघटन तथा टूटने में सहायक होते हैं। इसी प्रकार भूतल पर रहने वाले पशु एवं जीव-जंतु मिट्टी को खोदकर उसे ढीली और कमजोर बना देते हैं जिससे शैलों का विघटन सुगम हो जाता है। स्वयं मनुष्य भी इस अपक्षय का एक सशक्त कारक है।
जैविक अपक्षय, जानवरों और पौधों के कारण होता है। उदाहरण के लिए, खरगोश और अन्य जानवर एक चट्टान में दरार में दब सकते हैं, जिससे यह बड़ा हो जाता है और चट्टान को विभाजित कर देता है। आपने फुटपाथ में दरारों के माध्यम से खरपतवार उगते देखा होगा।
Explanation:
जब अपक्षय जानवरों और पौधों के कारण होता है, तो इसे जैविक अपक्षय कहा जाता है। पशु अपक्षय: पशु मिट्टी, चट्टानों को हिलाने, मांद बनाने, सुरंग खोदने, अवरुद्ध करने या नदियों, नदियों के मार्ग को बदलने आदि से बड़े पैमाने पर परिदृश्य को प्रभावित करते हैं। बड़ी संख्या में जानवर जमीन के अंदर छेद करते हैं।
पशु भी यांत्रिक अपक्षय में योगदान करते हैं। खुदाई करने वाले जानवर जैसे मोल भूमिगत चट्टानों को तोड़ते हैं, जबकि सतह की चट्टान पर जानवरों की आवाजाही चट्टान की सतह को खरोंच सकती है या दबाव डाल सकती है जिससे चट्टान में दरार आ जाती है।