Hindi, asked by sonymemon46, 4 days ago

अपने आसपास घटित चतुराई से संबंधित घटना के बारे मे लिखिए​

Answers

Answered by Radhaisback2434
5

Explanation:

हमारा घर एक पतली तंग गली में था हमारे मकान से दो मकान छोड़कर छोड़कर शर्मा जी का मकान था। एक बार शर्मा जी के मकान में आग लग गई और उनकी पत्नी व उनकी दो छोटी बेटियां पहली मंजिल पर ही फंस गए। सीढ़ियों पर आग लगी थी। इसलिए वह नीचे नहीं उतर पा रहे थे और बालकनी में खड़े होकर बचाओ बचाओ चिल्ला रहे थे।

Hope its help..

Answered by Anonymous
6

\huge\bold{\mathtt{\purple{ ༺{\pink{ A{\green{ n{\red{ s{\blue{ w{\orange{ e{\red{ r{\green{ ༻}}}}}}}}}}}}}}}}}

कोई भी विपदा अर्थात मुसीबत कह कर नही आती पर जब कोई विपदा आती है तो उसका मुकाबला सूझबूझ और चतराई पूर्वक किया जाए तो उस मुसीबत के असर को टाला जा सकता है या उससे अच्छी तरीके से निपटा जा सकता है। यहां इसी से संबंधित एक घटना प्रस्तुत है।

हमारा घर एक पतली तंग गली में था हमारे मकान से दो मकान छोड़कर छोड़कर शर्मा जी का मकान था। एक बार शर्मा जी के मकान में आग लग गई और उनकी पत्नी व उनकी दो छोटी बेटियां पहली मंजिल पर ही फंस गए। सीढ़ियों पर आग लगी थी। इसलिए वह नीचे नहीं उतर पा रहे थे और बालकनी में खड़े होकर बचाओ बचाओ चिल्ला रहे थे। दोपहर का समय था ज्यादातर लोग काम पर गये हुए थे और शर्मा जी भी काम पर गये थे। गली में बहुत कम लोग थे। जो थोड़े लोग थे वो अपने अपने घरों से बाल्टी में पानी भर कर लेकर आते और आग पानी डालते। फिर दूसरी बाल्टी में पानी भर कर लेकर आते और आग पर पानी मारते। इस कार्य में बहुत समय लग रहा था जब तक बाल्टी में पानी दुबारा से भर कर लाते तब आग और भड़क जाती। इस प्रकार आग बढ़ती ही जा रही थी। आग पर लगातार पानी पड़ना चाहिए था। फायर बिग्रेड को फोन तो कर दिया गया था। लेकिन उस पतली गली में फायर ब्रिगेड का आना संभव नहीं था। इसके अलावा फायर ब्रिगेड स्टेशन बहुत दूर था, वहां से आने में समय लगना था। ऐसे में मुझे एक उपाय सूझा और मैं तुरंत अपने घर से एक लंबा सा पाइप ले आया जो हम अपने बगीचे में पानी देने के लिए उपयोग करते थे। उसको मैंने अपने घर के नल में लगा दिया और घर का टुल्लू पंप चला दिया जिससे पानी का प्रेशर बढ़ गया। उस पाइप को में शर्मा जी के मकान तक ले आया। प्रेशर की वजह से पानी की तेज बौछारें निकलने लगी और मैं लगातार आग पर पानी की बौछारें डालने लगा। जैसे कि फायर ब्रिगेड वाले करते हैं। एक दूसरे पड़ोसी के पास भी पाइप था, वो भी अपना पाइप ले आये और ऐसा ही करने लगे। लगातार पानी की बौछारें पड़ने से आग बुझ गई और शर्मा जी के परिवार को सकुशल नीचे उतार लिया गया। उस समय अगर हम अगर इस सूझ-बूझ और चतुराई से काम नही नहीं करते और बाल्टी से ही पानी मारते रहते या फायर ब्रिगेड के इंतजार में ही रहते तो आग चारों तरफ फैल जाती। तब बहुत बड़ा नुकसान हो सकता था।

इसीलिये कहा गया है सूझ-बूझ और चतुराई से बड़े से बड़े संकट का सामना किया जा सकता है।

Similar questions