अपने छात्रावास के जीवन के संबंध में अपनी छोटी बहन को पत्र लिखिए
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Explanation:
प्रिय गौरी,
मधुर स्नेह।।
तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर बहुत अच्छा लगा कि घर में सभी लोग मुझे याद करते हैं। मुझे स्वयं घर की बहुत याद आती है। तुमने पूछा है कि यहाँ छात्रावास में मुझे कैसा लग रहा है। वस्तुतः घर की याद तो आना स्वाभाविक है तथापि यहाँ का वातावरण ऐसा आनंदमय है कि घर जैसा ही प्रतीत होता है। चारों ओर ऊँचे पर्वतों से घिरे मेरे विद्यालय एवं छात्रावास का भवन नवनिर्मित और बहुत भव्य है। प्राकृतिक सौंदर्य की छटा तो निराली ही है। छात्रावास के पीछे झरना कल-कल ध्वनि से मन को हर लेता है।
विद्यालय के संरक्षक आई.वी. कामत एवं उनकी पत्नी अत्यंत स्नेहशल हैं। उनका संरक्षण मातृ-पितृ तुल्य है। निवास, खान-पान, जलवायु, पठन-पाठन, खेल-कूद तथा विज्ञान प्रयोगशालाएँ–प्रत्येक दृष्टि से विद्यालय में गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया गया है।
हमारे विद्यालय एवं छात्रावास में अनुशासन का बहुत ध्यान रखा जाता है। विद्यालय में निर्धारित यूनिफॉर्म और काले जूते पहने बिना किसी भी छात्र को कक्षा में प्रवेश नहीं करने दिया जाता। सारे पीरियड समाप्त होने पर विद्यार्थी एक कतार में बाहर निकलते हैं और छात्रावास में रहने वाले छात्र छात्रावास को चले जाते हैं। जबकि अन्य छात्र अपने निवास की ओर प्रस्थान करते हैं। छात्रावास में सोना-उठना, नहाना-धोना, खाना-पीना और विद्यालय जाना पड़ता है।
यहाँ छात्र-छात्राओं में बहुत स्नेह एवं सामंजस्य है। परिवार से दूर परिवार की कमी वे आपसी सहयोग और स्नेह से ही पूर्ण करते हैं। ‘सीनियर्स’ अपने से छोटों से बहुत लगाव रखते हैं और छोटे-मोटे विवादों को अपने स्तर पर ही समाप्त करा देते हैं। संध्याकाल विभिन्न खेल खेलना, साथ-साथ पढ़ना-लिखना एवं जीवन । संचालन की नई प्रक्रिया बहुत रोमांचित करती है। शेष फिर, घर में सभी बड़ों को प्रणाम और छोटों को प्यार।
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