Hindi, asked by kishordubey230, 5 months ago

अपने गांव या शहर में किसी पर्व पर चली आ रही प्रथा के विषय में लिखें​

Answers

Answered by sarwangosain198992
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Explanation:

आदिवासियों के बीच एक बड़ा त्यौहार करमा है। इस त्यौहार को अच्छी तरह से जानने के लिए मैंने सिसई नवा टोली के भूतपूर्व शिक्षक लोहरा उराँव से पूछ – ताछ की। उन्होंने करमा त्यौहार के बारे में बतलाया कि यह त्यौहार भादो चाँद के एकादशी को मनाते हैं। प्रकृति के उपासक कुडूख जाति का करमा एक मशहूर पर्व है शुरू में यह पर्व सारे छोटानागपुर के उराँव समाज में एक ही दिन भादो सुदी एकादशी को होता था। इसीलिए इसे राजा करमा भी कहते हैं। काल क्रम में जब किसी गाँव में ठीक इसी अवसर पर किसी का निधन हो गया तो इस अवसर का पर्व नहीं फला, ऐसा विश्वास करके दूसरे अवसर पर इसे मनाने की प्रथा चली। इस प्रकार आज सारे छोटानागपुर में सात अवसरों पर अलग – अलग नाम से करमा मानते हैं लेकिन मनाने का विधि – विधान सब का एक है। सातों करम के नाम इस प्रकार है – राजी करम, ईंद करम, कडरू करम, जितिया करम, दसई करम, अधुवारी करम तथा सबसे पीछे सोहराई (कार्तिक) करम।

अब करम पर्व का मौसम तथा धरती मात्र के रूप – रंग को देखिये। समय तो रहता है बरसात का लेकिन कोई – कोई करम इसके आखरी तक जाता है। जिधर देखिए उधर ही हरयाली। धरती माता अन्न – धन से भरी लिखती है। नदी – नाले, बांध - पोखर पूर्ण जवानी में आकर मस्ती में ऐंठने लगती है। कभी पागल के सरीखे हंसते, कभी - कभी गीत में मस्त तो कभी बिलख - बिलख कर रोते – कलपते हैं। सभी प्राणी स्वस्थ्य खुशहाल दिखते हैं। सभी के घर के कोना – कूची में थोड़ा – थोड़ा अन्न के ढेर लगे रहते हैं।

Answered by Anonymous
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Answer:

भारत की सनातन परंपरा पर्व प्रधान है। ये पर्व सृष्टि के क्रमिक विकास के वार्षिक पड़ाव हैं। प्रति वर्ष आकर ये जीवन के विकासक्रम को संस्कारित करते हैं और आगे अपने धर्म के निर्वहन की प्रेरणा भी देते हैं। यह धर्म कोई मजहब या पंथ नहीं होता बल्कि मानव का होता है। इसमें राजा का धर्म, प्रजा का धर्म, पिता का धर्म, पुत्र का धर्म, भगिनी का धर्म, भाई का धर्म, पति का धर्म, पत्नी का धर्म, बड़ों का धर्म, छोटों का धर्म आदि निहित हैं। यह जीवन की संस्कृति का निर्माण करते हैं। इन पर्वों में से ही एक महत्वपूर्ण पर्व है रक्षा सूत्र बंधन। वैसे तो यह अत्यंत पौराणिक प्रचलन का पर्व है लेकिन आजकल इसे भाई बहन के पवित्र रिश्ते के साथ जोड़ कर देखा जाता है। यह पर्व हर साल आता है और अब इसे केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में भाई बहन के त्यौहार के रूप में मनाया जाने लगा है। आइये एक दृष्टि डालते हैं इसके प्राचीन स्वरूप से लेकर ऐतिहासिक और वर्त्तमान स्वरूप पर।

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