Hindi, asked by suhee, 5 months ago

अपनेघर सेदूर रहकर फ़ौज मेंनौकरी कर रहेनपता का हाि-चाि जानने के
निए राजेश की ओर से पत्र निखिए |

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Answered by Anonymous
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Answer:

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अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं

रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं

पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है

अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं

वक़्त के साथ है मिटी का सफ़र सदियों से

किस को मालूम कहाँ के हैं किधर के हम हैं

चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीब

सोचते रहते हैं किस राहगुज़र के हम हैं

हम वहाँ हैं जहाँ कुछ भी नहीं रस्ता न दयार

अपने ही खोए हुए शाम ओ सहर के हम हैं

गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हम

हर क़लमकार की बे-नाम ख़बर के हम हैं

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